कहा कि गांधी एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे. उन्होंने भारत की जनता के हृदय में स्थान बना लिया था. समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का हित उनके लिए सर्वोपरि था. वे राम और कृष्ण से भी अधिक शक्तिशाली थे.
गांधी को मानते हैं सब, पर मानता कोई नहीं – डॉ. अरुण मोहन भारवि
आने वाली नस्लें गांधी के विराट व्यक्तित्व पर विश्वास नहीं करेंगी – डॉ. वैरागी चतुर्वेदी
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : भोजपुरी साहित्य मंडल की ओर से आयोजित संगोष्ठी में गांधी विचार और उनके व्यक्तित्व पर विस्तृत चर्चा की गई. कार्यक्रम का प्रवर्तन मंडल के अध्यक्ष डॉ. अरुण मोहन भारवि ने किया. उन्होंने कहा कि गांधी को सब मानते हैं, लेकिन गांधी की कोई नहीं मानता. गांधीजी साध्य और साधन दोनों को महत्व देते थे. उनके अनुसार राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति.
मंडल के महासचिव डॉ. वैरागी चतुर्वेदी ने कहा कि गांधी एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे. उन्होंने भारत की जनता के हृदय में स्थान बना लिया था. समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का हित उनके लिए सर्वोपरि था. वे राम और कृष्ण से भी अधिक शक्तिशाली थे. आने वाली नस्लें गांधी के विराट व्यक्तित्व पर विश्वास नहीं कर पाएंगी. उन्हें समझने के लिए उस युग में जीना और सत्य का अनुसंधान करना होगा.
डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि गांधी को समझने के लिए उनके चिंतन और गहन अध्ययन की आवश्यकता है. आज का युवा एक अनियंत्रित बहाव में बह रहा है, जो भीड़ का हिस्सा बनकर चेतना शून्य है और धर्म-राजनीति दोनों को नहीं समझ पा रहा. संगोष्ठी का संचालन संजय सागर ने किया और इस दौरान उन्होंने "गांधी एक मजबूरी नहीं" इस मिथक को तोड़ने के लिए कविता का पाठ किया.
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवियों ने अपनी रचनाओं से माहौल को साहित्यिक रंग दिया. कवि प्रीतम ने ‘चला था जोर से सहमा हुआ...’, कवि नर्वदेश्वर पांडेय ने ‘बेवफ़ा मेरे दिल रुबा...’, हृदय नारायण हेहर ने ‘कुक्कुर के स्वभाव’ और कवि वशिष्ठ पांडेय ने गांधी पर केंद्रित कविता प्रस्तुत की. कुशध्वज सिंह मुन्ना ने ‘रघुपति राघव राजा राम’, कुमार श्री राजा रमन पांडेय ने भारतीय राजनीति पर रचना सुनाई. वहीं मो. सैफी ने गजल गाकर कार्यक्रम में रस घोल दिया.
इस अवसर पर गणेश उपाध्याय, मनोज कुमार सिंह, शंभूनाथ मिश्रा, विनय कुमार राय, संजय कुमार पांडेय, महेश्वर ओझा, रामवृक्ष साह, अभय तिवारी और धनंजय गुड़ाकेश सहित कई विद्वान उपस्थित रहे.







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