वीडियो : देशभर से आए 18 ठगों का साइबर रैकेट ध्वस्त — बक्सर से चलता था ऑनलाइन सट्टा, बैंकिंग फ्रॉड और अकाउंट हैकिंग — पूरा मॉड्यूल उजागर ..

एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया गया था जिसे टेलीग्राम के माध्यम से शेयर किया जाता था. जैसे ही कोई व्यक्ति उस एप पर रजिस्टर करता था, उसे सट्टेबाजी के नेटवर्क में जोड़ लिया जाता था और विभिन्न खेलों पर दांव लगवाया जाता था. कई पीड़ित इन खेलों में पैसे हारकर भारी नुकसान झेलते थे.






                                         








  • फर्जी कॉल और लिंक भेजकर बैंक खाते खाली करने वाला गिरोह सक्रिय
  • तकनीकी टीम की निगरानी और खुफिया इनपुट पर पुलिस ने खोला बड़ा राज

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर और आसपास के क्षेत्रों में 18 लोगों से करोड़ों रुपये ठगने वाले साइबर फ्रॉड गैंग का पर्दाफाश हो गया है. बीते कई दिनों से लगातार हो रहे ऑनलाइन ठगी के मामलों के बाद पुलिस की तकनीकी टीम और साइबर शाखा द्वारा जांच को तेज किया गया था. जांच में यह सामने आया कि संगठित रूप से काम करने वाले साइबर अपराधियों ने अलग-अलग तरीकों से लोगों के बैंक खातों से पैसे निकालने के लिए फर्जी नंबर, लिंक और डिजिटल आईडी का उपयोग किया. 

एसपी शुभम आर्य इस संदर्भ में नगर थाने में प्रेस वार्ता की ओर बताया कि गिरोह के संचालक अजीत कुमार जायसवाल और अमन कुमार जायसवाल थे, जो बाहर के राज्यों से युवाओं को बुलाकर ठगी के काम में लगाते थे और बदले में कमीशन लेते थे. पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह ऑनलाइन गेम और सट्टेबाजी के नाम पर लोगों को फंसाता था. इसके लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया गया था जिसे टेलीग्राम के माध्यम से शेयर किया जाता था. जैसे ही कोई व्यक्ति उस एप पर रजिस्टर करता था, उसे सट्टेबाजी के नेटवर्क में जोड़ लिया जाता था और विभिन्न खेलों पर दांव लगवाया जाता था. कई पीड़ित इन खेलों में पैसे हारकर भारी नुकसान झेलते थे. पुलिस के अनुसार यह नेटवर्क प्रतिदिन तीन से चार लाख रुपये का साइबर कारोबार कर रहा था और राशि कई अलग-अलग खातों में भेजी जाती थी. अब पुलिस उन खातों और डिजिटल ट्रांजेक्शन को भी ट्रेस कर रही है.

छापेमारी के दौरान पुलिस ने दो कमरों से बड़ी संख्या में उपकरण जब्त किए जिनमें 64 मोबाइल फोन, 05 लैपटॉप, 25 सिम कार्ड, 13 रजिस्टर, 82 एटीएम कार्ड, 09 पासबुक, 05 चेकबुक और 02 जिओ वाईफाई राउटर शामिल हैं. यह बरामदगी बताती है कि नेटवर्क कितना बड़ा और तकनीकी रूप से तैयार था. पुलिस का कहना है कि मकान को कॉल सेंटर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था और हर युवक को अलग-अलग डेटा लीड्स और ठगी के कार्य सौंपे गए थे.

साइबर धोखाधड़ी में शामिल 18 युवकों की पहचान भी की गई है, जिनमें अजीत कुमार जयसवाल, अमन कुमार जयसवाल और रमेश कुमार जयसवाल कैमूर जिले के हैं, दीपक कुमार और सतेन्द्र कुमार सारण जिले के हैं, राहुल कुमार सिवान का निवासी है, मुमताज आलम रोहतास जिले से है, जबकि संजय यादव और कैलाश यादव बाका के रहने वाले हैं. उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से मुकेश कुमार जायसवाल, अमरेश कुमार और आनंद यादव आए थे, वहीं अनिल कुमार बनारस से तथा राजेश जायसवाल और अमर बहादुर अयोध्या से आए थे. इसके अलावा छत्तीसगढ़ से हेम कुमार निषाद और दशरथ बाघ तथा ओडिशा से गौरव टाड़ी भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे. इन सभी को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.

साइबर अपराधियों ने सबसे ज्यादा उन लोगों को निशाना बनाया जो मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट का नियमित उपयोग करते हैं. खुद को बैंक अधिकारी, कस्टमर केयर प्रतिनिधि या केवाईसी अपडेट हेल्पलाइन बताकर कॉल करते थे और ग्राहकों से ओटीपी, एटीएम कार्ड नंबर, सीवीवी और पिन प्राप्त कर लेते थे. कुछ मामलों में गैंग नकली लिंक भेजकर ग्राहकों के फोन में रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड कराते थे, जिसके बाद उनके मोबाइल पर मौजूद बैंकिंग एप्लिकेशन का पूर्ण नियंत्रण साइबर अपराधियों के हाथ में चला जाता था.

पुलिस द्वारा उजागर किए गए मॉड्यूल के अनुसार गिरोह अलग-अलग स्तरों पर काम करता था. पहला ग्रुप कॉलिंग करता था और खुद को बैंक अथॉरिटी बताकर लोगों को भरोसे में लेता था. दूसरा ग्रुप फर्जी लिंक और डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन तैयार करता था, जबकि तीसरा ग्रुप पैसे को विभिन्न खातों में घुमाकर उसे क्रिप्टो करेंसी, ऑनलाइन गेमिंग वॉलेट और ई-कॉमर्स गिफ्ट कार्ड के जरिए कैश में बदल देता था. इसके बाद चौथा ग्रुप विभिन्न राज्यों के एटीएम और एजेंट नेटवर्क के माध्यम से नकद निकासी करता था, जिससे पैसे का ट्रैक पकड़ना बेहद मुश्किल हो जाता था.

एसपी ने लोगों से अपील की कि किसी कॉल, मैसेज या लिंक पर भरोसा न करें और ओटीपी, एटीएम जानकारी या बैंक संबंधित कोई भी विवरण किसी को साझा न करें.

वीडियो : 








Post a Comment

0 Comments