परिवाद में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस कथित बयान के बाद समाज में आपसी वैमनस्यता की स्थिति उत्पन्न हुई है और सामाजिक समरसता को ठेस पहुंची है.
- भोपाल में दिए गए कथित बयान से सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने का आरोप
- ब्राह्मण समाज को उकसाने और जातीय उन्माद फैलाने की बात कही गई
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: व्यवहार न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में एक परिवाद दाखिल किया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ आइएसएस अधिकारी पर समाज में वैमनस्यता फैलाने और जातीय उन्माद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. परिवाद में कहा गया है कि भोपाल में आयोजित एक प्रांतीय अधिवेशन के दौरान दिए गए कथित बयान से सामाजिक सौहार्द को गंभीर क्षति पहुंची है और इससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है.
परिवादकर्ता नंद कुमार तिवारी ने न्यायालय को बताया है कि आरोपी अधिकारी संतोष वर्मा, जो वर्तमान में फारमर वेलफेयर एवं एग्रीकल्चर विभाग में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं और साथ ही मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष भी हैं, ने 23 नवंबर 2025 को भोपाल के अंबेडकर मैदान में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की. परिवाद के अनुसार उक्त बयान में आरक्षण को लेकर ऐसी बात कही गई, जिससे ब्राह्मण समाज के युवक-युवतियों को उकसाने और जातीय विद्वेष फैलने की आशंका जताई गई है.
परिवाद में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस कथित बयान के बाद समाज में आपसी वैमनस्यता की स्थिति उत्पन्न हुई है और सामाजिक समरसता को ठेस पहुंची है. आरोप लगाया गया है कि खुले मंच से दिया गया यह वक्तव्य देश में जातीय विभेद, मतभेद और आंतरिक कलह को बढ़ावा देने की मंशा से दिया गया, जिसे इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक रूप से देखा और सुना गया.
न्यायालय में दाखिल परिवाद में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संज्ञान लेकर आरोपी अधिकारी के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है. परिवादकर्ता ने कहा है कि इससे न केवल उन्हें बल्कि पूरे समाज को न्याय मिल सकेगा.
इस मामले में गवाह के रूप में राजीव रंजन तिवारी, फन्नी भूषण चौबे और पवन कुमार उपाध्याय के नाम परिवाद में दर्ज किए गए हैं. न्यायालय द्वारा परिवाद पर आगे की प्रक्रिया और सुनवाई के संबंध में निर्णय लिया जाना शेष है.





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