इतिहास रचते हुए परेड की कमान संभालने वाले 149वें कैडेट बनने का गौरव प्राप्त किया. शानदार प्रदर्शन के बल पर उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रपति का रजत पदक तथा पासिंग आउट कोर्स के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का सम्मान भी प्रदान किया गया, जिससे डुमरांव और बिहार का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ.
- 149वें कैडेट के रूप में परेड की कमान संभालकर बढ़ाया डुमरांव का गौरव, जलवा दिखाया राष्ट्रीय स्तर पर
- अब आईएमए देहरादून में एक वर्ष का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में देंगे सेवाएं
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की पासिंग आउट परेड में अकादमी कैडेट कैप्टन सिद्धार्थ सिंह ने इतिहास रचते हुए परेड की कमान संभालने वाले 149वें कैडेट बनने का गौरव प्राप्त किया. शानदार प्रदर्शन के बल पर उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रपति का रजत पदक तथा पासिंग आउट कोर्स के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का सम्मान भी प्रदान किया गया, जिससे डुमरांव और बिहार का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ.
प्रभावशाली परेड के बाद कैडेट कैप्टन सिद्धार्थ सिंह ने एनडीए के प्रशिक्षण को “समग्र और कठोर” बताते हुए कहा, “सुबह की पीटी और ड्रिल से लेकर गहन सेवा कक्षाओं व विस्तृत शैक्षणिक पाठ्यक्रम तक—एनडीए आपको दुनिया और उसकी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है.” उनकी कर्तव्यनिष्ठा और नेतृत्व क्षमता ने पासिंग आउट कोर्स में उन्हें विशेष पहचान दिलाई.
सिद्धार्थ ने अपनी स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC), देहरादून से पूरी की, जहाँ उन्होंने कैडेट कैप्टन के पद पर भी योगदान दिया. अब वे भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून में एक वर्ष के प्री-कमीशन प्रशिक्षण के लिए प्रस्थान करेंगे, जिसके बाद वे भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में राष्ट्रसेवा करेंगे.
जिले के डुमरांव के मूल निवासी सिद्धार्थ सेवा-भाव से जुड़ी सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं. पिता सुनील कुमार सिंह सासाराम स्थित डीबीएस ऑटोमोबाइल्स (टाटा मोटर्स) में जनरल मैनेजर हैं, जबकि माता सुमन सिंह गृहिणी हैं. उनके बड़े भाई फ्लाइट लेफ्टिनेंट समर्थ सिंह, पूर्व एनडीए कैडेट, वर्तमान में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में देश की सेवा कर रहे हैं. समारोह में समर्थ की मंगेतर फ्लाइट लेफ्टिनेंट अंजुली सिंह भी उपस्थित थीं.
सिद्धार्थ अपने दादा सीता राम सिंह तथा नाना राम सुरेश सिंह, जो भारतीय वायुसेना के पूर्व सैनिक हैं, को अपनी प्रेरणा का स्रोत मानते हैं. इनके चाचा सूबेदार अनिल सिंह, जो भारतीय सेना में सेवारत हैं, भी दोनों भाइयों को निरंतर प्रोत्साहित करते रहे हैं. राष्ट्रपति के स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्राप्तकर्ताओं के चयन के लिए ओवरऑल ऑर्डर ऑफ मेरिट में अकादमिक प्रदर्शन, आउटडोर प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास तथा विशेष सेवा विषयों में दक्षता को मुख्य आधार बनाया जाता है.
परिवार के सभी सदस्य—अशोक सिंह, एन.पी. सिंह, बीना सिंह सहित अन्य परिजन—सिद्धार्थ के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आने वाले समय में उनकी और सफलताओं की अपेक्षा कर रहे हैं.







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