दो खंभों के बीच बढ़ी दूरी तो सिर पर लटक रही मौत ..

बताते हैं कि बिजली के खंभों के बीच की दूरी तकरीबन 35 से 45 मीटर के बीच में होती है. जिस पर तार आसानी से लटकाया जा सकता है हालांकि, कहीं-कहीं नए खंभे लगाए जाने की भी जरूरत है. लेकिन, स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कई जगह ऐसा संभव नहीं हो पा रहा. 

- बिजली के लटके तारों को दुरुस्त करने के लिए डीएम के निर्देश को भी अधिकारियों ने दिखाया ठेंगा
- नगर के विभिन्न इलाकों में सिर पर झूल रहे हैं बिजली के तार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिजली विभाग के निजीकरण के बाद यह उम्मीद जगी थी कि बिजली व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त हो जाएगी. हालांकि, पावर कट की समस्या से पहले की अपेक्षा बहुत हद तक राहत मिली है. लेकिन, अभी भी व्यवस्था में पूर्ण सुधार नहीं हो सका है. नतीजा यह है कि आज दिन बिजली आपूर्ति के साथ-साथ कंपनी के कर्मियों की लापरवाही को लेकर कई बातें सामने आती है. ऐसा ही एक मामला जिला प्रशासन के भी संज्ञान में आया है. जिसके आलोक में जिला पदाधिकारी अमन समीर ने बिजली कंपनी के अधिकारियों को निर्देशित भी किया है. हालांकि, जिला पदाधिकारी के निर्देश के बावजूद बिजली कंपनी के अधिकारी इस विषय में कोई विशेष पहल करते दिखाई नहीं दे रहे.

दरअसल, नगर में इंसुलेटेड वायर के माध्यम से बिजली आपूर्ति का कार्य किया जा रहा है. हालांकि, लगाए जाने के दौरान कई तकनीकी खामियों तथा खंभों के बीच में अधिक दूरी होने के कारण यह तार इस कदर लटके रहते हैं जो सड़क पर चलने वाले किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आसानी से आ जाए. इस संदर्भ में मिल रही शिकायतों के आलोक में ही जिला पदाधिकारी ने कुछ दिनों पूर्व विभागों के पदाधिकारियों के साथ की गई बैठक में यह निर्देश दिया था कि खंभों की संख्या बढ़ाते हुए बिजली के लटके हुए तारों को दुरुस्त कराया जाए. लेकिन, डीएम के इस निर्देश के बावजूद अभी भी अधिकारी इस मामले में गंभीर नहीं है. नतीजा यह है कि बिजली के तार पहले की तरह है लटके हुए हैं और लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है.

नगर के स्टेशन रोड, सिविल लाइंस, बंगाली टोला, बाजार समिति रोड, पांडेय पट्टी आदि कई ऐसे इलाके हैं जहां बिजली के तार जमीन की सतह के काफी नजदीक लटक गए हैं. बिजली उपभोक्ताओं की माने तो कहीं-कहीं तार बदले जाने के बाद से ही उन्हें लटके हुए अवस्था में छोड़ दिया गया है. अब स्थिति यह है कि दुर्भाग्यवश कहीं तार कट जाए और उसके संपर्क में लोग आ जाएं तो उनकी मौत निश्चित है. ऐसे में इस दुर्घटना का जिम्मेदार किसे माना जाए या एक गंभीर प्रश्न है?

इस संदर्भ में पूछे जाने पर बिजली विभाग के कनीय अभियंता अजीत कुमार बताते हैं कि बिजली के खंभों के बीच की दूरी तकरीबन 35 से 45 मीटर के बीच में होती है. जिस पर तार आसानी से लटकाया जा सकता है हालांकि, कहीं-कहीं नए खंभे लगाए जाने की भी जरूरत है. लेकिन, स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कई जगह ऐसा संभव नहीं हो पा रहा. वहीं, स्टेशन रोड के नगर भवन के पास लटके तार के विषय में उन्होंने बताया कि स्टेशन रोड का चौड़ीकरण होना है. ऐसे में अब नए सिरे से खंभे लगाए जाएंगे.











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