निजीकरण के बाद भी उपभोक्ताओं को नहीं हो पा रही निर्बाध बिजली आपूर्ति ..

दुबारा तार से एक फीडर से दूसरे फीडर को जोड़ा गया है लेकिन, आपूर्ति के मामले में सारे कवायद ढाक के तीन पात हो जा रहे हैं. लोग निर्बाध आपूर्ति एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति के लिए तरस जा रहे हैं.

- लाखों रुपए बिजली बिल भरने के बाद भी अनियमित बिजली आपूर्ति से परेशान है उपभोक्ता
- उपभोक्ताओं ने कहा, वरीय अधिकारियों को होती है निर्बाध तथा आम उपभोक्ताओं को लचर विद्युत आपूर्ति

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिजली विभाग के निजीकरण के बाद बिजली उपभोक्ताओं को यह उम्मीद जगी थी कि अब बिजली को लेकर अच्छे दिन आने वाले हैं. हालांकि, उपभोक्ताओं को कुछ राहत भले ही मिल गई हो लेकिन बिजली की निर्बाध तथा नियमित आपूर्ति अभी तक शुरू नहीं की जा सकी है. बताया जा रहा है कि साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अधिकारी से लगायत कर्मी तक बिजली उपभोक्ताओं के सवालों का ना तो कोई सीधा जवाब देते हैं और ना ही उनकी समस्याओं का त्वरित हल निकाल पाते हैं. ऐसे में बिजली उपभोक्ताओं में खासा रोष है.

विद्युत उपभोक्ता तथा छोटकी सारीमपुर के निवासी कौशलेंद्र ओझा बताते हैं कि जाने क्यों बिजली विभाग के कर्मी गर्मी के मौसम में जब बिजली की ज्यादा आवश्यकता होती है उसी वक्त बिजली के तारों को दुरुस्त करने का कार्य शुरू करते हैं. यही नहीं कभी-कभी तो रात्रि के समय में बिजली के तारों की मरम्मति शुरु कर विद्युत आपूर्ति बाधित कर दी जाती है.

उपभोक्ता बताते हैं कि बक्सर ज़िला मुख्यालय में बिजली कम्पनी द्वारा काफी कार्य किया गया है और करोड़ों रुपये का कार्य संपादित भी हुआ है. मसलन तार बदलने का कार्य, फिर उपभोक्ताओं के घरों तक केबल खींचा गया है. डी पी बॉक्स लगाये गये हैं. इस वर्ष अभी हाल ही विद्युत आपूर्ति सुधार हेतु दुबारा तार से एक फीडर से दूसरे फीडर को जोड़ा गया है लेकिन, आपूर्ति के मामले में सारे कवायद ढाक के तीन पात हो जा रहे हैं. लोग निर्बाध आपूर्ति एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति के लिए तरस जा रहे हैं.

कई उपभोक्ताओं ने बताया कि बिजली कम्पनी अपने उपभोक्ताओं के साथ सौतेला व्यवहार करती है. एक ओर ज़िले के वरीय अधिकारियों को निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश किया जाता हैं वहीं सामान्य उपभोक्ताओं को उनके रहमो करम पर छोड़ दिया जाता है. मध्य रात्रि में यदि बिजली तीन घंटे तक नहीं आई तो अधिकारियों का टका सा जबाब रहता है कि, अनुरक्षण का कार्य चल रहा है जबकि विद्युत आपूर्ति केंद्र और अधिकारियों को फोन करने पर कोई फोन ही रिसीव नहीं करता है. उमस भरी रात में लोग बिजली की आँख मिचौनी से हलकान रहने पर मजबूर रहते है.

लाखों रुपये भरते हैं विद्युत बिल, नहीं मिल रही है बेहतर सेवाएं: 

डाक घर बक्सर के एजेंट श्रीभगवान साह बताते है कि हर साल बिजली बिल करीब 2 लाख रुपए अदा करते हैं लेकिन, गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति अभी सपना है. मेन रोड निवासी श्री साह के घर दो बैटरी इन्वर्टर है, दो स्टेबलाइजर भी हैं. अलग से अर्थिंग भी कराए हैं लेकिन अच्छी बिजली के अभी भी मोहताज है.

इनवर्टर-बैटरी का उद्योग है गुलजार:

लचर व्यवस्था का नतीजा है कि अभी भी ज़िले में स्टेबलाइजर औऱ इनवर्टर बैटरी का उद्योग फल-फूल रहा है. जिला मुख्यालय में हर हफ्ते बैटरी और स्टेबलाइजर का बाजार एक करोड़ रुपए के आसपास है. स्वागत इलेक्ट्रॉनिक्स के मनोज सिंह बताते है कि हर हफ्ते ज़िले में एक ट्रक बैटरी की खपत है. हर उपभोक्ता महंगे स्टेबलाइजर और बैटरी खरीदने पर मजबूर हैं. क्योंकि, बिजली ऐन मौके पर दगा दे जाती है.

मामले में बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता सन्नी कुमार तथा एसडीओ अजीत कुमार से उनके सरकारी दूरभाष संख्या 7763814281 एवं 7763814282 पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन कई बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन नहीं उठाया. जिससे कि उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका. बहरहाल, बिजली उपभोक्ताओं के अच्छे दिन कब आएंगे यह बताने वाला कोई नहीं है.











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