कांव नदी अतिक्रमण मामला: जमाबंदी रद्द किए जाने के आदेश पर अंचलाधिकारी की चुप्पी से उठ रहे सवाल ..

भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा दिए गए आदेश का अनुपालन कराया जाए लेकिन, बार-बार अनुरोध के बाद भी उनके द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं कराया गया. जिसके कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ता गया और उन्होंने सरकारी जमीन की बिक्री भी शुरू कर दी. 
बाँध की जमीन पर मड़ई डाल कर अतिक्रमण कर रहे लोग

- 1 साल पूर्व किए गए आदेश पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
- नए अंचलाधिकारी के सकारात्मक पहल नहीं किए जाने से लोगों में निराशा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: डुमराँव के वार्ड संख्या 19 में कांव नदी बांध की जमीन पर किए गए अतिक्रमण मामले में अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा दिए गए आदेश के तकरीबन 1 साल का समय गुज़र जाने के बावजूद अब तक उसका अनुपालन नहीं कराए जाने से सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं. बताया जा रहा है कि सिस्टम की सुस्ती का फायदा अवैध अतिक्रमणकारी उठा रहे हैं तथा न सिर्फ वह अतिक्रमण का विस्तार कर रहे हैं बल्कि, जमाबन्दी के गलत कागजात दिखा कर जमीन को बेचने पर आमादा हैं. 

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने का कार्य जो सरकार के नुमाइंदों को करना चाहिए था वह स्थानीय लोग कर रहे हैं. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? मामले में पहल करने से अतिक्रमणकारी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच टकराव जैसी स्थिति उत्पन्न हो जा रही है. 

48 डिसमिल जमीन पर है अवैध कब्जा: 

बताया जा रहा है कि करीब 48 डिसमिल जमीन पर बिजेंद्र राम नामक व्यक्ति का कब्ज़ा है. उनके द्वारा कैसरे हिन्द (भारत सरकार) की जमीन पर कब्जा कर किए जाने तथा उसे बेचे जाने का आरोप लगाते हुए स्थानीय निवासियों ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के जहां आवेदन देकर सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की मांग की थी. जिस पर भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा 23 जुलाई 2019 को दिए गए आदेश में दाखिल खारिज को विखंडित करते हुए अंचलाधिकारी को यह निर्देश दिया गया था कि वह सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराएं. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ कई बार गुहार लगाए जाने के बावजूद अभी तक सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया जा सका है.

कांग्रेस नेता ने अंचलाधिकारी को पत्र लिखकर की थी मांग:

कांग्रेस के जिला महासचिव श्रद्धानंद तिवारी ने अंचलाधिकारी को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि दाखिल खारिज अपील वाद संख्या 91- 218-19 के अंतर्गत भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा दिए गए आदेश का अनुपालन कराया जाए लेकिन, बार-बार अनुरोध के बाद भी उनके द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं कराया गया. जिसके कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ता गया और उन्होंने सरकारी जमीन की बिक्री भी शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि एक-दो लोगों को फर्जी ढंग से जमीन की रजिस्ट्री भी कर दी गई है. 

इसी बीच तकरीबन एक माह पूर्व अंचलाधिकारी का स्थानांतरण हो जाने के बाद नए अंचलाधिकारी को पत्र लिखकर एक बार फिर इस विषय में कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है, लेकिन सकारात्मक पहल नहीं किए जाने से लोगों में निराशा है.

कहते हैं अंचलाधिकारी:

सरकारी जमीन को अतिक्रमण किए जाने का मामला बेहद गंभीर है. किसी व्यक्ति द्वारा अगर सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया जाता है तो उसे निश्चित रूप से अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. इस मामले पर जल्द ही विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

सुनील कुमार वर्मा,
अंचलाधिकारी, डुमराँव











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