एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोल रहे हैं नगर परिषद के पदाधिकारी

कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया था कि शहरी आवास एवं विकास विभाग से मिले निर्देश के आलोक में यह कार्य नियमित अभियंता के द्वारा कराया जाना है. ऐसे में श्री भगवान सिंह को कभी वर्क आर्डर दिया ही नहीं गया लेकिन, वर्क आर्डर की चिट्ठी पूर्व वार्ड पार्षद के हाथ लग गई.

- डुमरांव सड़क घोटाला: कार्यादेश किसी और को, भुगतान किसी और को 
- 1157 फीट सड़क निर्माण का कोई हिसाब नहीं दे पायी नप

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 19 में एक झूठ को छुपाने के लिए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा सौ झूठ बोले जाने की कहावत चरितार्थ हो रही है. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां दिए गए अपने जवाबों में बार बार अलग-अलग बयान देकर कार्यपालक पदाधिकारी भ्रष्टाचार की कलंक कथा के नए-नए अध्याय लिखते जा रहे हैं.

दरअसल, वार्ड के पूर्व पार्षद सुनील कुमार तिवारी ने जब मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी तो उन्होंने बताया था की मंगरु यादव के घर से हरियाणा फॉर्म तक सड़क निर्माण की एमबी बुक की गई है. जाहिर हो कि किसी भी कार्य के संपन्न होने के बाद एमबी बुक की जाती है. लेकिन यहाँ कोई काम नहीं हुआ था. अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां दायर इस परिवाद में अपना पक्ष रखने के क्रम में कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार ने बताया कि उनके द्वारा इस सड़क पर कोई निर्माण नहीं कराया गया है. बल्कि, वार्ड संख्या 19 में शंभू चौधरी के घर से मेन रोड तक सड़क निर्माण कराया गया है.

उधर, 16.08.19 को अवर निर्वाचन पदाधिकारी एवं ग्रामीण कार्य विभाग के कनीय अभियंता की जांच के क्रम में यह बात तो सच साबित हुई लेकिन, एक बड़ा हेरफेर उस वक्त सामने आया जब पूर्व में जिस सड़क को लेकर सुनील तिवारी ने शिकायत की थी उसके क्षेत्रफल तथा कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा बताई जा रही दूसरी सड़क के क्षेत्रफल में 1157 वर्ग फीट का अंतर आ गया. जिस सड़क के बिना निर्माण एमबी बुक किए जाने की बात कही जा रही थी उसका क्षेत्रफल 1383.6 वर्ग फुट था लेकिन, शंभू चौधरी के घर से मेन रोड तक बनाई गई सड़क का क्षेत्रफल केवल 226 वर्ग फीट था वहीं, मोटाई भी छह इंच के जगह 3 इंच थी. इस जाँच के बाद मामले में घालमेल का भेद खुल गया.

इसी क्रम में एक और झूठ पकड़ा गया. दरअसल, 31.05.2018 के पत्रांक संख्या 766 के द्वारा शंभू चौधरी के घर से मेन रोड तक पीसीसी ढलाई एवं नाली निर्माण का कार्य योजना संख्या 4 के माध्यम से नगर परिषद के कनीय अभियंता श्री भगवान सिंह को सौंपा गया. वहीं, दूसरी तरफ इस कार्य के पूर्ण होने पर इसका भुगतान 23 मार्च 2019 को कनीय अभियंता विजेंद्र झा को दिया गया. यहाँ उल्लेखनीय है कि इसी मामले में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष जवाब देते हुए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया था कि शहरी आवास एवं विकास विभाग से मिले निर्देश के आलोक में यह कार्य नियमित अभियंता के द्वारा कराया जाना है. ऐसे में श्री भगवान सिंह को कभी वर्क आर्डर दिया ही नहीं गया लेकिन, वर्क आर्डर की चिट्ठी पूर्व वार्ड पार्षद के हाथ लग गई. जिसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी का दूसरा झूठ भी पकड़ा गया. 

पूर्व वार्ड पार्षद सुनील कुमार तिवारी बताते हैं कि नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा लिखित रूप से यह बात कही गई है कि, नियमित कनीय अभियंता के द्वारा है कोई कार्य कराना है तो आखिर किस प्रकार इस मामले के उजागर होने के बाद भी वर्ष 2019 में छठिया पोखर घाट की व्यवस्था के साथ-साथ सेंट्रल नाले की साफ-सफाई समेत विभिन्न कार्यों के लिए कनीय अभियंता श्री भगवान सिंह को चेक काट कर भुगतान दिया गया है? उन्होंने कहा कि, अगर 2015 के बाद नगर परिषद के कार्यकलापों की जांच कराई जाए तो एक नहीं सैकड़ों घोटाले सामने आएंगे.

कहते हैं कनीय अभियंता:

वार्ड संख्या 19 में शंभू चौधरी के घर से मेन रोड तक की सड़क का निर्माण कनीय अभियंता विजेंद्र झा द्वारा कराया गया था उस सड़क से मेरा कोई लेना देना नहीं है. बाद में सड़क के निर्माण में गड़बड़ी साबित होने के बाद उनसे 3 लाख 53 हज़ार 500 रुपये की रिकवरी की गई है.

श्री भगवान सिंह,
कनीय अभियंता, नगर परिषद











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