भू-माफियाओं ने सरकार को लगाया 40 लाख रुपयों का चूना ..

इस मामले में जब जिला भू-अर्जन पदाधिकारी प्रभात कुमार को जानकारी मिली उनके होश उड़ गए. सूत्रों ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में शामिल हल्का कर्मचारी, अंचल निरीक्षकअंचल अमीन समेत अंचलाधिकारी  बक्सर के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है.

 

- हल्का कर्मचारी, अंचल निरीक्षक, अंचल अमीन समेत अंचलाधिकारी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा
- फर्जी हस्ताक्षर कर रकम प्राप्त करने के आरोप में अधिवक्ता समेत तीन पर एफआइआर

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भू-अर्जन की राशि लेने के लिए अंचल कार्यालय में भू माफियाओं ने पैठ बनाकर सरकार को 40 लाख लाख रुपये का चूना लगा दिया. प्राप्त जानकारी के अनुसार एनएच 84 के फोरलेन निर्माण हेतु दलसागर हल्का में सरकारी विद्यालय की दान की गई जमीन का म्यूटेशन करा कर फर्जी कागजात के सहारे लाखों रुपए मुआवजे का भुगतान करा लिया गया. इस मामले में जब जिला भू-अर्जन पदाधिकारी प्रभात कुमार को जानकारी मिली उनके होश उड़ गए. सूत्रों ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में शामिल हल्का कर्मचारी, अंचल निरीक्षकअंचल अमीन समेत अंचलाधिकारी  बक्सर के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है.

बताया जाता है कि सरकारी विद्यालय के 8 डिसमिल की जमाबंदी की जगह 3 डिसमिल के जमाबंदी बनाकर 5 डिसमिल रैयत के नाम पर कर दिया गया. जिसमें 5 डिसमिल के जमाबंदी को दाखिल-खारिज अपील वाद दायर करते हुए रद्द करने की अनुशंसा की गई है. साथ ही विद्यालय की जमीन और भवन के मुआवजे के रूप में ली गई  40 लारव 26 हजार 336 रुपए में की वसूली का भी अनुरोध किया गया है.

इस संबंध में पूछे जाने पर भूमि सुधार उप समाहर्ता सह जिला भू अर्जन पदाधिकारी  प्रभात कुमार ने बताया कि सरकारी जमीन को दिखाने के फर्जीवाड़े में पूर्व के दो अंचल अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण यह सरकारी जमीन रैयत में जमाबंदी कर दी गई. उन्होंने बताया कि अरुणा देवी के द्वारा हरेन्द्र चौबे का फर्जी हस्ताक्षर कर सहमति पत्र दिया गया. इस मामले में उनके पुत्र एवं शपथ पत्र हस्ताक्षर करने वाले अधिवक्ता के विरुद्ध बक्सर नगर थाना में एक भी दर्ज कराई गई है.

बताया जाता है कि अरुणा देवी के दलसागर के खेसरा संख्या 491 की जमीन में  फर्जीवाड़े के तहत सरकार से लाखों रुपया प्राप्त कर लिया था अब जब इस मामले का पर्दाफाश हो गया है  जिला प्रशासन सरकारी राशि वसूली के तैयारी में जुट गई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की राशि की वसूली हो पाती है या सिर्फ कागजों में आदेश बंद करा जाता है. इस तरह के फर्जीवाड़े के मामले पूर्व मे भी कई मामले जिला भू -अर्जन कार्यालय में सामने आए हैं.













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