निगरानी के हत्थे चढ़े डीपीओ के पेंशन पर सदा के लिए रोक ..

वर्ष 2017 में निगरानी ने उस वक्त गिरफ्तार किया था जब वह सेवानिवृत्त शिक्षक अमरनाथ पांडेय से 15 हज़ार रुपये की रिश्वत ले रहे थे पेंशन पर रोक लगाए जाने के आदेश में यह कहा गया है कि, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से सूचना मिलने के बाद जो आरोप विनायक पांडेय पर लगे थे तथा उनके बचाव में उन्होंने जो सफाई दी थी वह संतोषजनक नहीं थी. जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है.

 

- वर्ष 2017 में 15 हज़ार रुपये घूस लेते हुए किया गया था गिरफ्तार
- निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं होगा देय

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां डीडीसी के वरीय लेखा पदाधिकारी के निगरानी के हत्थे चढ़ने के बाद भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया गया है. वहीं, दूसरी तरफ एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी है. दरअसल 15 हज़ार रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए. शिक्षा विभाग के प्रात कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी विनायक पांडेय के पेंशन भुगतान पर सदा के लिए रोक लगा दी गई है. राज्यपाल के आदेश से निदेशक प्रशासन से अपर सचिव सुशील कुमार ने इस बात की अधिसूचना जारी की है. जिसमें बिहार पेंशन नियमावली के नियम 43-बी के तहत श्री पांडेय के पेंशन पर हमेशा के लिए रोक लगा दी गई है. आदेश में यह कहा गया है कि निलंबन अवधि में भुगतान किए गए जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त उन्हें कुछ भी देय नहीं होगा.

तात्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को वर्ष 2017 में निगरानी ने उस वक्त गिरफ्तार किया था जब वह सेवानिवृत्त शिक्षक अमरनाथ पांडेय से 15 हज़ार रुपये की रिश्वत ले रहे थे पेंशन पर रोक लगाए जाने के आदेश में यह कहा गया है कि, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से सूचना मिलने के बाद जो आरोप विनायक पांडेय पर लगे थे तथा उनके बचाव में उन्होंने जो सफाई दी थी वह संतोषजनक नहीं थी. जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि डीपीओ विनायक पांडे ने रोहतास में भी पदस्थापन के दौरान शिक्षक नियोजन 2008 के लंबित मामलों में पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से दिशानिर्देश प्राप्त नहीं किया था. इसके साथ ही उन्होंने दंडित हेड मास्टर को पूर्ण सेवांत लाभ की स्वीकृति भी दी थी. बताया जा रहा है कि, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक इरफान अहमद के विरुद्ध प्राथमिक शिक्षा के निदेशक द्वारा दंड संसूचित किए जाने के बावजूद भी श्री पांडेय द्वारा श्री अहमद को पूर्ण सेवांत लाभ की स्वीकृति दी गई थी जबकि, उन्हें विभागीय कार्यवाही की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात ही सेवांत लाभ की स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए थी. बताया जा रहा है कि, रिश्वतखोरी के अतिरिक्त इन सब आरोपों को देखते हुए डीपीओ के विरुद्ध यह बड़ी कार्रवाई की गई है.














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