तीन वर्ष पहले गोली से घायल युवक की इलाज के दौरान मौत, जमानत पर है मुख्य आरोपी, दो अब भी गिरफ्त से बाहर ..

हालांकि, सवाल अब भी बरकरार है कि मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद पुलिस अब क्या कर सकती है? ऐसे में माना जा रहा है कि न्यायालय से मार्गदर्शन मिलने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई कर सकेगी.

 


- ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र के रामगढ़ गांव की है घटना
- वर्ष 2017 में गोली से घायल हुआ था युवक, आरा के बाद एम्स में चल रहा था इलाज

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: तीन वर्ष पहले गोली लगने से घायल युवक के एम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई है. मामले में पुलिस ने पूर्व में ही नामजद बनाए गए आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दी है वहीं, मुख्य आरोपी हत्या के प्रयास के आरोप में सजा काटने के बाद न्यायालय से जमानत पर हैं. ऐसे में घायल युवक की मौत हो जाने पर उनके परिजन शव लेकर सीधे थाने में पहुंच गए तथा पुलिस से उचित कार्यवाही करने की मांग करने लगे.  पुलिस असमंजस में पड़ गई. बाद में परिजनों को समझा-बुझाकर भेजा गया तथा शव का पोस्टमार्टम कराया गया. हालांकि, सवाल अब भी बरकरार है कि मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद पुलिस अब क्या कर सकती है? ऐसे में माना जा रहा है कि न्यायालय से मार्गदर्शन मिलने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई कर सकेगी.

दरअसल, 20 अगस्त 2017 को ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र के रामगढ़ गांव के रहने वाले धनजी यादव का स्थानीय निवासी सोनू यादव तथा आरा के रहने वाले सतीश कुमार व अप्पी यादव के साथ मोबाइल को लेकर कुछ विवाद हुआ था. जिसमें धनजी यादव को गोली मार दी गई थी. सोनू यादव पर आरोप लगा था कि उसने आरा के रहने वाले दो अपराधियों को अपने घर में पनाह दी थी तथा सभी ने मिलकर धनजी को गोली मार दी. गोली धनजी के गले के बाद शरीर की हड्डी में फंस गई थी. जिसके बाद उनका इलाज पहले आरा फिर एम्स, दिल्ली में चल रहा था. एम्स में ही उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि, मृत्यु गोली लगने से अथवा किसी अन्य बीमारी से हुई है यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है. 

मामले में उसी वक़्त पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सोनू यादव को गिरफ्तार कर लिया था. वहीं, सतीश कुमार व अप्पी यादव की पिछले 3 वर्षों से पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. उस वक्त आरा निवासी आरोपितों की बरामद बाइक से उनकी पहचान हुई थी. थानाध्यक्ष निर्मल कुमार ने बताया कि मामले में वरीय अधिकारियों का मार्गदर्शन मांगा जा रहा है. कानून के जानकारों का कहना है कि, मामले में न्यायालय के आदेशानुसार ही धाराओं में फेरबदल संभव है.













Post a Comment

0 Comments