चुनाव में कहीं न कहीं उम्मीदवारों की अधिक संख्या व वोटरों का मतदान नहीं करना भी प्रत्याशियों पर भारी पड़ जाता है. जीती हुई बाजी भी हार में बदल जाती हैं. हालांकि, वोटरों को बूथ तक ले जाने के लिए प्रशासन की ओर से भी कोशिश की जाती है. इसके लिए कई कार्यक्रम भी चलाये जाते है. परंतु उतनी सफलता नहीं मिल पाती है. जितना प्रत्याशी व प्रशासन मिलकर प्रयास करते है.
- बगावती व प्रायोजित उम्मीदवार में है सीधी टक्कर
- देखना होगा रोचक, किसके हाथ में आती है जीत की बाजी
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: चुनावी बिगुल बज चुका है. पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार भी दिया है. नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अब उम्मीदवार वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश में युद्ध स्तर पर लगे हैं. ताकी उनकी जीत पक्की हो सके. चुनाव में कहीं न कहीं उम्मीदवारों की अधिक संख्या व वोटरों का मतदान नहीं करना भी प्रत्याशियों पर भारी पड़ जाता है. जीती हुई बाजी भी हार में बदल जाती हैं. हालांकि, वोटरों को बूथ तक ले जाने के लिए प्रशासन की ओर से भी कोशिश की जाती है. इसके लिए कई कार्यक्रम भी चलाये जाते है. परंतु उतनी सफलता नहीं मिल पाती है. जितना प्रत्याशी व प्रशासन मिलकर प्रयास करते है.
यदि पूर्व के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाये. तो सबसे अधिक प्रत्याशी 1990 के चुनाव में थे. उस वक्त 25 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने के लिए उतरे थे. वहीं सबसे कम 1662 के चुनाव में पांच उम्मीदवार ही चुनावी अखाड़े में आये थे. अबकी बार 20 उम्मीदवार भी मैदान में नहीं है. हालांकि, कुछ लोग बगावती उम्मीदवार हैं और कुछ प्रायोजित. अब देखना यह होगा कि किसके हाथ जीत की बाजी आती है.
वर्ष कुल मतदाता मतदान प्रतिशत प्रत्याशी
1952 57231 22582 39 9
1957 63473 29390 46 7
1962 81899 39271 47 5
1967 92405 48558 52 7
1969 98541 53809 54 6
1972 108529 60621 55 6
1977 123898 60089 48 13
1980 138976 72712 52 9
1985 153112 79152 51 13
1990 192978 93736 48 25
1995 173191 114670 66 24
2000 176970 108669 61 10
2005 214773 108462 50 16
2005 204959 104200 50 9
2010 241608 124617 51 14
2015 295508 169257 57 16
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