मनरेगा रिश्वतकांड में लेखा पदाधिकारी की नियमित जमानत याचिका खारिज ..

इसी मामले की आज निगरानी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनीष कुमार पांडेय ने धर्मेंद्र कुमार के नियमित जमानत याचिका की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट की विशेष लोक अभियोजक आनंदी सिंह ने न्यायालय में जमानत याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि पूरे मामले को देखने से साफ और सत्य प्रतीत होता है कि आरोपी धर्मेंद्र कुमार के पास से 50 हज़ार रुपये नगद नगद बरामद हुए थे.
निगरानी की टीम साथ आरोपी धर्मेन्द्र(बीच में) फ़ाइल इमेज़

- पटना की निगरानी अदालत में हुई सुनवाई
- लोक अभियोजक आनंदी सिंह की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश खारिज की याचिका

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में गड़बड़ी के मामले को रफा-दफा करने के लिए 50 हज़ार रुपये नजराना लेते हुए गिरफ्तार डीआरडीए के वरीय लेखा पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार की नियमित जमानत याचिका को निगरानी की अदालत में लोक अभियोजक आनंदी सिंह की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश मनीष पांडेय ने खारिज कर दी. 

बताया जाता है कि, 26 अगस्त को डीआरडीए के वरीय लेखा कर्मी धर्मेंद्र कुमार द्वारा तत्कालीन उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार के आदेश पर पंचायत रोजगार सेवक मनोरंजन कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार सक्सेना पंचायत तकनीकी सहायक और कनीय अभियंता सिद्धेश्वर प्रसाद शर्मा से नगद राशि की मांग करने की शिकायत मनरेगा के इन कर्मियों ने निगरानी से की थी. जिसके बाद निगरानी की टीम ने पूरे मामले की जांच को टीम भेजी जिसमें यह मामला सत्य पाया गया उसके बाद निगरानी ने कार्रवाई करते हुए कर्मी धर्मेंद्र कुमार को पचास हज़ार नगदी रिश्वत लेते हुए धर दबोचा. इसी मामले की आज निगरानी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनीष कुमार पांडेय ने धर्मेंद्र कुमार के नियमित जमानत याचिका की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट की विशेष लोक अभियोजक आनंदी सिंह ने न्यायालय में जमानत याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि पूरे मामले को देखने से साफ और सत्य प्रतीत होता है कि आरोपी धर्मेंद्र कुमार के पास से 50 हज़ार रुपये नगद नगद बरामद हुए थे. साथ ही ऑडियो क्लिप में भी इस बात का पुख्ता प्रमाण है. ऐसे में अभियुक्त को नियमित जमानत दी जाती है तो न्याय के उद्देश्यों को आरोपी विफल कर देगा.

बचाव पक्ष और लोक अभियोजक की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश मनीष पांडेय ने धर्मेंद्र कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी. गौरतलब है कि, मनरेगा में भ्रष्टाचार से संबंधित कई मामले सामने आ चुके हैं. हालिया मामले में 83 योजनाओं की जांच नियाज़ीपुर खुर्द पंचायत प्रखंड सिमरी में चल रही थी इसी मामले में परिवादी मनोरंजन कुमार सिंह, मुकेश कुमार सक्सेना समेत कनीय अभियंता सिद्धेश्वर प्रसाद शर्मा को बचाने के लिए तत्कालीन उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार के कहने पर कर्मी धर्मेंद्र ने 50 हज़ार रुपये नगद नजराना की राशि ली थी.

डॉ. शशांक शेखर की रपट
















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