अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय की नई जमीन का फंसता नजर आ रहा पेंच ..

अधिवक्ताओं ने प्रस्तावित भूमि का विरोध किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता सईदुल आजम ने कहा कि जिस कारण से पूर्व का प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश ने खारिज किया था, प्रशासन वैसा ही भूमि का प्रस्ताव पुनः दिया है. न्यायालय जन सरोकारों से जुड़ा है इसलिए मुख्य न्यायाधीश के आदेश का अनुपालन करना चाहिए.


- जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह ने किया भौतिक निरीक्षण
- पूर्व की जमीन का भी स्टेशन से ज्यादा दूरी होने के कारण हुआ था प्रस्ताव खारिज़

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय की नई जमीन का पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है. ज़िला प्रशासन ने पूर्व में डुमरेजनी मंदिर के पास जो प्रस्ताव दिया था, उसे पटना उच्च न्यायालय तात्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.पी. शाही ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि, यह मुख्य शहर से काफी दूर है और आवागमन के साधनों यथा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से भी काफी दूर है. उन्होंने जिला प्रशासन से सहज एवं आवागमन के मुख्य साधनों से जुड़े जमीन का प्रस्ताव देने का आदेश दिया था. ज़िला प्रशासन द्वारा बी.एम.पी. के गेट के पास एवं काली मंदिर के पास जमीन के प्रस्ताव का ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह ने भौतिक निरीक्षण किया. साथ में अवर न्यायाधीश बृज किशोर सिंह, विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव धर्मेंद्र तिवारी, एसडीओ हरेंद्र राम भी थे. 

दरअसल, ज़िला जज उच्च न्यायालय पटना के निर्देश के आलोक में आज स्थल निरीक्षण करने पहुँचे थे. अधिवक्ताओं ने प्रस्तावित भूमि का विरोध किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता सईदुल आजम ने कहा कि जिस कारण से पूर्व का प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश ने खारिज किया था, प्रशासन वैसा ही भूमि का प्रस्ताव पुनः दिया है. न्यायालय जन सरोकारों से जुड़ा है इसलिए मुख्य न्यायाधीश के आदेश का अनुपालन करना चाहिए.













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