आध्यात्मिक क्रांति के लिए हृदय में भगवान का जन्म जरूरी : आचार्य रणधीर

इस दौरान उन्हीने कहा कि मथुरा, वृन्दावन व काशी आदि तीर्थ स्थली के अलावा अन्य मंदिरो में हर साल जन्माष्टमी को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है लेकिन, जब तक आपके ह्रदय में भगवान का जन्म नहीं होगा तब तक खुद के जीवन एवं समाज में आध्यात्मिक क्रांति संभव नहीं है. 






- संगरांव में आयोजित किया गया है श्रीमद्भागवत कथा पाठ 
- कथा श्रवण करने दूर दराज से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले के संगरांव गाँव में आयोजित श्रीमदभगवत कथा के चौथे दिन आचार्य रणधीर ओझा ने भगवन श्री कृष्ण के जन्म प्रसंग का वर्णन किया. इस दौरान उन्हीने कहा कि मथुरा, वृन्दावन व काशी आदि तीर्थ स्थली के अलावा अन्य मंदिरो में हर साल जन्माष्टमी को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है लेकिन, जब तक आपके ह्रदय में भगवान का जन्म नहीं होगा तब तक खुद के जीवन एवं समाज में आध्यात्मिक क्रांति संभव नहीं है. कथा का विस्तार देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि, जब पृथ्वी असुरों के अत्याचार्य के दुखी होकर संतो के पास जाती हैं तो संत ब्रह्माजी के पास जाते है, फिर ब्रह्माजी देवताओं के साथ भगवान के पास जाकर उनसे अवतार लेने के लिए प्रार्थना करते हैं और वे पृथ्वी पर अवतरित होते हैं. श्री ओझा ने कहा कि व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के सामान है, जिसमे नित्य नवीन विचारों का जन्म होता है  कभी काम, कभी क्रोध, कभी लाभ तो कही ईर्ष्या एवं लोभ का जन्म होता है. यही विचार कंस है. सो हमें संत अथवा परमात्मा से इन विचारों से मुक्ति के लिए विनती करनी चाहिए.  

















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