करोड़ों की लागत से बने शौचालयों में बंद है ताला, नगर विकास मंत्री को लिखा पत्र ..

जिसमें उन्होंने कहा है कि, उनके वार्ड में वर्षों पूर्व सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने के बाद भी अब तक उसे ना तो जनता के हवाले किया जा सका है और ना ही सार्वजनिक शौचालय की नियमित साफ-सफाई होती है. इतना ही नहीं सेंट्रल नाले की सफाई के नाम पर भी राशि निकाल दिए जाने के बावजूद नाले की सफाई का कार्य अब तक नहीं किया गया है.
 सार्वजनिक शौचालय में पसरी गंदगी





- छठ पर्व के मौके पर भी साफ सफाई नहीं होने पर जताया रोष
- कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा, शौचालय लेने में नहीं लोग नहीं दिखा रहे रुचि

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: नगर के वार्ड संख्या 6 की वार्ड सदस्य आशा देवी ने सामुदायिक शौचालय के अधूरे निर्माण तथा उसकी साफ-सफाई नहीं होने एवं उसका वर्षों बाद भी हस्तांतरण नहीं किए जाने को लेकर नगर आवास एवं विकास विभाग के मंत्री तथा सचिव, जिला पदाधिकारी, डुमराँव अनुमंडल पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी समेत कई लोगों को पत्र प्रेषित किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि, उनके वार्ड में वर्षों पूर्व सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने के बाद भी अब तक उसे ना तो जनता के हवाले किया जा सका है और ना ही सार्वजनिक शौचालय की नियमित साफ-सफाई होती है. इतना ही नहीं सेंट्रल नाले की सफाई के नाम पर भी राशि निकाल दिए जाने के बावजूद नाले की सफाई का कार्य अब तक नहीं किया गया है.




वार्ड पार्षद ने यह भी बताया कि, छठ जैसे महापर्व में साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपये की राशि निकालने के बावजूद सफाई की स्थिति बेहद बदहाल है. ऐसे में उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सफाई के नाम पर राशि के बंदरबांट को रोकने के लिए मजदूरों के खाते में पैसे भेजने की व्यवस्था भी की जाए.

उधर, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार ने बताया कि पूरे नगर में 29 सामुदायिक शौचालय बनाए गए थे. इसके अतिरिक्त 4 शौचालयों का जीर्णोद्धार किया गया था. लेकिन, सब कुछ किए जाने के बावजूद शौचालय में ताला बंद रहता है. ऐसे में ओडीएफ किए जाने के सपने पर पानी फिरता नजर आ रहा है. साथ ही जनता के तकरीबन ढाई करोड़ रुपयों की बर्बादी भी दिखाई दे रही है.



उन्होंने बताया कि, सामुदायिक शौचालय निर्माण में  नगर विकास एवं आवास विभाग का स्पष्ट आदेश था कि, सामुदायिक शौचालय वहीं बनाना है जिनके घर मे शौचालय बनाने की जमीन नहीं है. नगर परिषद सर्वे के अनुसार नगर के 300 घरों में शौचालय नही है और आज भी वह परिवार खुले मे शौच को बाघ्य हैं तो फिर सामुदायिक शौचालय बनाने मे जनता के करोड़ों रुपये पानी मे बहाने के दोषी कौन है?

मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि 12 सीटर सामुदायिक शौचालय को उन लोगों को दिया जाना है जो भूमिहीन हैं तथा उनके पास शौचालय बनवाने की जमीन भी नहीं है. ऐसे लोगों को शौचालय का रखरखाव भी स्वयं ही करना है लेकिन, अब तक किसी भी व्यक्ति ने शौचालय लेने में रुचि नहीं दिखाई है, जिसके कारण शौचालय में ताला बंद है. वहीं, सार्वजनिक शौचालय अथवा अन्य जगहों की साफ-सफाई की बात कहने पर उन्होंने मामले को देखने की बात कही.










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