लक्ष्य से पीछे हो कर भी तेज़ी से आगे निकलने की कोशिश में है परिवहन योजना की गाड़ी ..

माना जा रहा है कि एक तरफ जहां योजना के प्रचार-प्रसार में कमी इसका कारण है वहीं, दूसरी तरफ लोगों के जेहन में कई तरह की भ्रांतियां भी बनी हुई है, जो इस योजना के कार्यान्वयन में बाधक बन रही हैं. वैसे माना जा रहा है कि चुनाव आदि से निवृत होने के बाद प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी कार्य में तेजी लाएंगे.

 




- राज्य में पांचवें स्थान पर है अपना जिला
- लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की है सरकार की पहल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सुदूर ग्रामीण इलाकों को प्रखंड मुख्यालय तथा बेरोज़गारों को रोजगार से जोड़ने के लिए लाई गई मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी ग्राम परिवहन योजना को लेकर सरकार काफी चिंतनशील है. अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल पदाधिकारी को इस योजना की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गयी है. बताया जा रहा है कि कई लाभुक इससे लाभान्वित भी हो रहे हैं जिसके कारण राज्य में अपना जिला पांचवें स्थान पर है. लेकिन, अभी भी अपना जिला लक्ष्य से पीछे है. माना जा रहा है कि एक तरफ जहां योजना के प्रचार-प्रसार में कमी इसका कारण है वहीं, दूसरी तरफ लोगों के जेहन में कई तरह की भ्रांतियां भी बनी हुई है, जो इस योजना के कार्यान्वयन में बाधक बन रही हैं. वैसे माना जा रहा है कि चुनाव आदि से निवृत होने के बाद प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी कार्य में तेजी लाएंगे.



मुख्यमंत्री नितीश कुमार की इस महत्वकांक्षी योजना में सुदूर गांवों को जिला तथा प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने की योजना बनाई गई थी, जिसमें कुछ लोगों को जहां रोजगार दिया जाना था वहीं ग्रामीणों को आसान परिवहन की सहूलियत भी सहूलियत दी जानी थी लेकिन, ग्राम परिवहन योजना की यह गाड़ी मंजिल से काफी दूर है. परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक स्वीकृति मिलने के पश्चात भी अब तक केवल 644 लाभुकों को को ही इस योजना का लाभ मिल सका है तथा उन्होंने वाहनों की खरीद कर ली है.

क्या है योजना की सुस्त चाल का कारण:

विभागीय सूत्रों की माने तो इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार ना होना योजना के लाभुकों की कम संख्या का कारण है. इसके साथ ही कुछ लोगों में यह भ्रांति भी है कि उन्हें न केवल अनुदान बल्कि, रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस का पैसा भी सरकार के तरफ से मिलना चाहिए. ऐसे में लोग इस योजना की स्वीकृति होने के बाद भी कई लाभुक वाहनों की खरीद नहीं कर सके हैं. यह भी माना जा रहा है कि चुनाव में पदाधिकारियों के व्यस्त रहने के कारण भी योजना की गति कुछ धीमी हुई थी.

710 से 994 हो गया वाहनों की खरीद का लक्ष्य: 

दरअसल प्रखंड मुख्यालय को ग्राम पंचायतों से जोड़ने तथा लोगों को स्वरोजगार प्रदान करने की  इस महत्वपूर्ण योजना में जिले के 11 प्रखंडों के 142 पंचायतों के तहत प्रत्येक पंचायत में 7 वाहनों को इस योजना के तहत प्रदान किया जाना है. पहले यह संख्या 5 ही थी, बाद में इसे बढ़ाया गया. इस प्रकार पहले जहाँ कुल 720 वाहनों की खरीद की जानी थी वहीं, अब यह संख्या 994 हो गयी है. इस लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 667 वाहन ही खरीदे गए हैं.

केवल 70 हज़ार में मिलेगी नई ई-रिक्शा:

इस योजना के तहत वाहनों की खरीद पर 50 फीसद अथवा अधिकतम 1 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है. इस प्रकार एक ई रिक्शा की खरीद के लिए लाभुक को केवल 70 हज़ार की धनराशि देनी होगी. मजे की बात यह है कि ई-रिक्शा में केवल रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस कराना होता है इसके अतिरिक्त परमिट आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

ग्राम परिवहन योजना के कार्यान्वयन में अपना जिला फिलहाल सूबे में पांचवें स्थान पर है. योजना को लेकर जिले में तेजी से काम किया जा रहा है. लाभुकों के आवेदन भी काफी संख्या में मिले हैं. उम्मीद है कि आगामी एक माह के अंदर लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा.

मनोज कुमार रजक
जिला परिवहन पदाधिकारी











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