भोजपुरी रचना "गइनी खाए भोज" की हुई समीक्षा ..

कहा कि बाजारवाद के दौर में पवननंदन जैसे साहित्यकारों को अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए पुस्तक का प्रकाशन  करना काफी कठिन है. आर्थिक दौर में पुस्तक का प्रकाशन के लिए  सहयोग लेकर अपनी सरस्वती साधना को जीवंत रखना बेहतर प्रयास है. 






- साहित्यकार ओमप्रकाश केसरी पवन नंदन की है रचना
- मौके पर मौजूद रहे तमाम साहित्यकार व बुद्धिजीवी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले के जाने माने साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश केशरी पवन नंदन द्वारा लिखित पुस्तक "गइनी खाए  भोज" के ऊपर समीक्षा गोष्ठी का आयोजन किया गया. सरस्वती पुस्तकालय में आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने की. वक्ताओं ने किताबों में लिखित ब्यंग और कविताओं की जमकर सराहना की हालांकि, कई वक्ताओं ने लिखित किताब में विज्ञापनों के की ढेर और अशुद्धियों पर आपत्ति भी दर्ज कराई. 



इस मौके पर प्रेस क्लब के अध्यक्ष सह रेडक्रॉस उपाध्यक्ष डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि बाजारवाद के दौर में पवननंदन जैसे साहित्यकारों को अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए पुस्तक का प्रकाशन  करना काफी कठिन है. आर्थिक दौर में पुस्तक का प्रकाशन के लिए  सहयोग लेकर अपनी सरस्वती साधना को जीवंत रखना बेहतर प्रयास है. डॉ. महेन्द्र प्रसाद ने कहा कि सरल भाषा में प्रकाशित इस पुस्तक कई मायने में बेहतर संकलन है. उन्होंने लेखक के प्रति अपनी शुभकामना देते हुए उनके बेहतर लेखन और उज्जवल भविष्य की कामना की. मौके पर साहित्यकार अतुल मोहन प्रसाद, रामेश्वर मिश्र "बिहान" अश्विनी कुमार राय, गोपाल जी तिवारी, महेश्वर ओझा "महेश", शिव बहादुर "प्रीतम", देहाती पंडित, शशि भूषण मिश्र, भुवाल जी, विजय कुमार आदि उपस्थित थे.









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