भगवान की भक्ति से मनुष्य को मिलती है जीवन-मरण के चक्कर से मुक्ति ..

पांडेय पट्टी में आयोजित चार दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य उमेश भाई ओझा ने देवहूति तथा कपिल मुनि संवाद भक्तों को श्रवण कराते हुए कहा कि, महाराज मनु की पुत्री देवहुति का विवाह करदम मुनि के साथ हुआ था. नौ पुत्रियों के बाद स्वयं भगवान ने कपिल मुनि के रूप में मुनि के यहां जन्म लिया. 








- पांडेय पट्टी में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन कपिल देवहुति संवाद का श्रद्धालुओं ने किया श्रवण
- 24 फरवरी तक दिन में 1:00 बजे से 6:00 बजे तक चल रही कथा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पांडेय पट्टी में आयोजित चार दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य उमेश भाई ओझा ने देवहूति तथा कपिल मुनि संवाद भक्तों को श्रवण कराते हुए कहा कि, महाराज मनु की पुत्री देवहुति का विवाह करदम मुनि के साथ हुआ था. नौ पुत्रियों के बाद स्वयं भगवान ने कपिल मुनि के रूप में मुनि के यहां जन्म लिया. 



एक बार देवहूति ने कपिल मुनि से पूछा मैंने सुना है कि तुम साक्षात भगवान के अवतार और मेरा यह सौभाग्य है कि तुमने मेरे यहां जन्म लिया और मैंने तुम्हें अपना दूध पिलाया है. बालक कपिल ने कहा कि मां आपने सही सुना है. इसके बाद देवहूति बोली कि पुत्र मुझे कृपा कर बताइए कि मानव जीवन का क्या लक्ष्य है? मानव जीवन मिल जाने के बाद हर जीव को क्या करना चाहिए किस पर विश्वास करना चाहिए? किस पर विश्वास करना तथा किस पर नहीं करना चाहिए? इस पर कपिल जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन मिलने के बाद जीवन भर मनुष्य को भगवान को मनाने का प्रयास करने चाहिए क्योंकि, मानव जीवन परमात्मा मिलन का द्वार है. उन्हें अपनी मां से कहा कि मानव जब मां के गर्भ में होता है तो वह एक मांस का लोथड़ा होता है. उस पर ऊपरी त्वचा नहीं होती. माँ जो भी खाती है वह सीधे बच्चे को जा कर चुभता है. जो बच्चे इस चुभन को नहीं सहन कर पाते उनकी गर्भ में मृत्यु हो जाती है.



मां के गर्भ में बच्चे का स्थान मल मूत्र के पास होता है. बच्चा इस पीड़ा को सह नहीं पाता. वह चिल्लाता है, भगवान मुझे बचाओ. यहां से मुझे बाहर निकालो. तब प्रभु कहते हैं कि, मैं तुम्हें यहां से बाहर निकाल दूंगा लेकिन, तुम्हें एक वादा करना होगा कि जन्म लेने के बाद तुम्हें अपने धर्म को आगे बढ़ाओगे. तुम्हें धर्म का प्रचार करना होगा लेकिन, बच्चा जन्म देने के बाद प्रभु से किया वादा भूल जाता है और संसार की मोह माया में लिप्त हो जाता है. ऐसे में हमें यदि जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त होना है तो सदैव प्रभु का स्मरण करते रहना होगा.

भागवत कथा का श्रवण करने के लिए दूर दराज से लोग लगातार पहुंच रहे हैं वहीं, स्थानीय ग्रामीणों की उपस्थिति अच्छी खासी बनी रह रही है. आयोजन कर्ता दीनानाथ पांडेय ने बताया कि भागवत कथा दिन में एक बजे से संध्या छह बजे तक चल रही है.






Post a Comment

0 Comments