कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग के साथ सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सम्पन्न ..

इसी बीच उन्हें सूचना मिली की श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया है. क्रोधित होकर वह श्रीकृष्ण का वध करने के लिए उनसे युद्ध करने निकल पड़ा था. उनके और श्रीकृष्ण के मध्य युद्ध हुआ था जिसमें कृष्ण विजयी हुए और रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए. द्वारिका में रुक्मिणी और श्रीकृष्ण का विवाह संपन्न हुआ.







- कल विशाल भंडारे में दिन में 1:00 बजे से आमंत्रित किए गए हैं नगरवासी
- कथा प्रसंग के दौरान कलाकारों ने प्रस्तुत किया मनमोहक दृश्य

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पांडेय पट्टी में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में आचार्य उमेश भाई ओझा के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण - रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया. साथ ही कथा कलाकारों के द्वारा कथा का मंचन भी किया गया, जिसके बाद सात दिवसीय कथा संपन्न हुई. प्रसंग के दौरान भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के रूप में कलाकारों पर श्रद्धालुओं ने फूल बरसाए.

कथावाचक आचार्य उमेश भाई ओझा ने विस्तार से कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था. विदर्भ नरेश भीष्म की पुत्री रुक्मिणी परम रूपवती व परम सुलक्षणा है. भीष्म का बड़ा पुत्र रुक्मी भगवान श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था. वह बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था. शिशुपाल भगवान कृष्ण से द्वेष रखता था. रुक्मिणी को जब इस बात का पता चला तो उसने अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राह्मण कन्या के माध्यम से श्रीकृष्ण के पास द्वारिका पत्र भेजा व संदेश दिया, "हे नंद-नंदन आपको ही पति रूप में वरण किया है. मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती."



श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी के बारे में काफी कुछ सुन रखा था और वह उनसे विवाह करने की इच्छा रखते थे. श्रीकृष्‍ण ने अपने भाई बलराम के साथ मिलकर एक योजना बनाई. जब शिशुपाल बारात लेकर रुक्मिणीजी के द्वार आए तो श्रीकृष्‍ण ने रुक्मिणीजी का अपहरण कर लिया.

रुक्मिणी के अपहरण के बाद श्रीकृष्ण ने अपना शंख बजाया. इसे सुनकर शिशुपाल हैरान रह गए कि यहां श्रीकृष्ण कैसे आ गए. इसी बीच उन्हें सूचना मिली की श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया है. क्रोधित होकर वह श्रीकृष्ण का वध करने के लिए उनसे युद्ध करने निकल पड़ा था. उनके और श्रीकृष्ण के मध्य युद्ध हुआ था जिसमें कृष्ण विजयी हुए और रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए. द्वारिका में रुक्मिणी और श्रीकृष्ण का विवाह संपन्न हुआ.

कथावाचक ने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं, उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है. कार्यक्रम के आयोजक दीनानाथ पांडेय ने बताया कि कथा के समाप्ति के बाद गुरुवार को विशाल भंडारे के साथ कथा का समापन होगा जिसमें दिन में 1:00 बजे से संध्या 6:00 बजे तक श्रद्धालु अवश्य शामिल हो.










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