कहा कि श्री सिंह का जाना साहित्य की अपूरणीय क्षति है. भोजपुरी विभाग की स्थापना विश्वविद्यालय में करने में उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा. उनकी प्रतिष्ठा पुस्तकों में "माया महाठगिनी", "मोहि ब्रज बिसरत नाहीं", "भोजपुरी साहित्य का इतिहास", "भोजपुरी भाषा की विकास यात्रा" तथा "भोजपुरी काव्य धारा" प्रमुख है.
- आयोजित की गई शोकसभा, दी गई श्रद्धांजलि
- भोजपुरी स्नातकोत्तर के पूर्ववर्ती छात्रों ने भी दी श्रद्धांजलि
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: हिंदी और भोजपुरी साहित्य के प्रकांड विद्वान एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व भोजपुरी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर गदाधर सिंह के निधन पर एक शोक सभा का आयोजन भोजपुरी साहित्य मंडल के तत्वाधान में अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. बक्सर के एक निजी सभागार में आयोजित हुई. इस शोक सभा में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया सभा में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की गई.
मौके पर साहित्यकार डॉ. अरुण मोहन भारवि ने गदाधर सिंह को अपनी श्रद्धांजलि निवेदित करते हुए कहा कि श्री सिंह का जाना साहित्य की अपूरणीय क्षति है. भोजपुरी विभाग की स्थापना विश्वविद्यालय में करने में उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा. उनकी प्रतिष्ठा पुस्तकों में "माया महाठगिनी", "मोहि ब्रज बिसरत नाहीं", "भोजपुरी साहित्य का इतिहास", "भोजपुरी भाषा की विकास यात्रा" तथा "भोजपुरी काव्य धारा" प्रमुख है. चरित्रवन में स्थित श्मशान घाट पर उनके अंतिम संस्कार के बाद उन्हें याद करते हुए साहित्यकार प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने कहा कि गदाधर सिंह केवल एक अच्छे साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे. उनका जाना भोजपुरी विभाग के प्रोफेसर तथा पूर्ववर्ती छात्रों को काफी खलेगा.
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