काजीपुर के पदच्युत मुखिया को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत, फिर भी चुनाव लड़ने की चाहत ..

अपने आप को बेगुनाह साबित करने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी लेकिन, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है. उधर हाई कोर्ट से याचिका खारिज हो जाने के बाद भी उनका पंचायत चुनाव से मोह खत्म नहीं हो रहा और वह लगातार फेसबुक पर कैंपेन चला रहे हैं.

 





- सिमरी प्रखंड के काजीपुर के मुखिया भ्रष्टाचार के आरोप में किया गया है पदच्युत
- पंचायती राज विभाग के द्वारा चुनाव लड़ने पर रोक लेकर प्रचार-प्रसार जारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सिमरी प्रखंड के काजीपुर के पूर्व मुखिया अख्तर अली की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अपने आप को वित्तीय अनियमितता के आरोप में पदच्युत हो जाने के पश्चात उन्होंने अपने आप को बेगुनाह साबित करने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी लेकिन, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है. उधर हाई कोर्ट से याचिका खारिज हो जाने के बाद भी उनका पंचायत चुनाव से मोह खत्म नहीं हो रहा और वह लगातार फेसबुक पर कैंपेन चला रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मुखिया जी को अब भी किसी चमत्कार की उम्मीद है?

असल में पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18 (5) के तहत अपने दायित्वों के निर्वहन में गड़बड़ी करने के आरोप में प्रस्तुत किए गए पंचायत के मुखिया अगले 5 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.



तीन योजनाओ में थे दोषी:

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में युवा अख्तर अली काजीपुर पंचायत में मुखिया पद पर चुनाव जीते थे. पंचायत  के विकास के लिए कई योजनाओ को संचालित कराया. तीन योजना में गड़बड़ी कर दी थी. जिसमें एक ही स्थल पर दो योजना को चला दिया. बगैर कार्य कराये योजना की राशि की निकासी कर ली. 14 वें वित्त के तहत चार योजनाओं में प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं कराया गया था.

लोक शिकायत में गया था मामला:

गड़बड़ी पाए जाने के बाद काजीपुर पंचायत के वॉर्ड सदस्य इम्तयाज अंसारी सहित अन्य ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां परिवाद दर्ज कराया था. जिसमें मुखिया दोषी पाए गए थे. इसके बाद जिला लोक शिकायत में भी परिवाद दर्ज हुआ था. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीडीसी अरविंद कुमार भी स्थल जांच के लिए गए थे, जिसमें मुखिया  दोषी पाये गये थे. मुखिया ने अपनी गलती भी स्वीकार कर ली थी. राशि की वसूली भी हुई थी. इसके बाद अख्तर अली की मुखिया की कुर्सी चली गई थी. बाद में अपनी साख बचाने के लिए अख्तर अली हाई कोर्ट की शरण में गये. परंतु वहाँ भी राहत नहीं मिली. उधर, इस संदर्भ में जानकारी लेने के लिए पंचायती राज पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी को पिछले  एक हफ्ते में कई बार फोन किया गया लेकिन फोन नहीं उठाने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका.












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