बीएस - 4 के चक्कर में फंस गई छह जीवन रक्षक एंबुलेंस ..

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा एसजेवीएन थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के सहयोग से जिला स्वास्थ समिति को छह एंबुलेंस प्रदान की गई थी. एंबुलेंस प्राप्त करने के तकरीबन डेढ़ साल तक एंबुलेंस का संचालन 102 एंबुलेंस का रूप में किया जाता रहा. बाद में इसे मेडिकल मोबाइल यूनिट के रूप में बदलने के लिए धनुष फाउंडेशन नामक एक एनजीओ को दिया गया है.




- मोबाइल मेडिकल यूनिट बनाकर चलाने की हो रही तैयारी 
- डीटीओ ने कहा, निबंधन कराना जरूरी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा एसजेवीएन थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के सहयोग से जिला स्वास्थ समिति को छह एंबुलेंस प्रदान की गई थी. एंबुलेंस प्राप्त करने के तकरीबन डेढ़ साल तक एंबुलेंस का संचालन 102 एंबुलेंस का रूप में किया जाता रहा. बाद में इसे मेडिकल मोबाइल यूनिट के रूप में बदलने के लिए धनुष फाउंडेशन नामक एक एनजीओ को दिया गया है लेकिन, अब स्थिति यह हो गई है कि रिपेयरिंग हो जाने के बावजूद एंबुलेंस सड़कों पर नहीं चल सकेंगी.




दरअसल, बीएस - 4  मॉडल एंबुलेंस का तकरीबन 2 साल बीत जाने के बावजूद अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है. ऐसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद में इनका निबंधन प्रतिबंधित है. ऐसे में यदि एंबुलेंस बन भी जाती है तो उनका परिचालक संभव नहीं होगा. उधर, जिस एजेंसी को इसे मेडिकल मोबाइल यूनिट में कन्वर्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है उसके समक्ष भी यह एक बड़ी समस्या हो गई है.

री-मॉडिफाइड कराने के बाद एमएमयू के तौर पर चलाने की तैयारी:

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के मीडिया प्रभारी नितिन मुकेश ने बताया कि सभी एंबुलेंस को री-मॉडिफिकेशन के लिए भेज दिया गया है. जल्द ही इन्हें मोबाइल मेडिकल मोबाइल यूनिट बनाकर संसदीय क्षेत्र के सभी विधानसभा में चलाया जाएगा. मोबाइल मेडिकल यूनिट में जीवन रक्षक प्रणाली दवाओं के साथ-साथ चिकित्सक भी मौजूद रहेंगे. वर्कशॉप से सभी एंबुलेंस को निकालकर मॉडिफिकेशन के लिए भेज दिया गया है.

कहते हैं अधिकारी:

एसजेवीएन के द्वारा जब एंबुलेंस जिला स्वास्थ समिति को प्रदान की गई उस वक्त से लेकर अब तक उसका निबंधन नहीं कराया जा सका है जबकि, नियमानुसार उसे एक 31 मार्च से पूर्व ही निबंधित करा लिया जाना रहा ऐसे में अब निबंधन नहीं हो पाएगा. इस स्थिति में लोकल स्तर पर एंबुलेंस के नाम पर भले ही परिचालन हो जाए लेकिन इसका परिचालन संभव नहीं है.

मनोज कुमार रजक,
जिला परिवहन पदाधिकारी








Post a Comment

0 Comments