नगर परिषद ने दी श्मशान घाट पर लूट की खुली छूट ..

कोविड-संक्रमण से मृत व्यक्तियों के शव-दाह के लिए नगर परिषद के द्वारा व्यवस्था कराए जाने की बात कही गई लेकिन, स्थिति यह है कि कोविड संक्रमित मरीजों के शवों को गाड़ी तक उठाकर रखने तक की व्यवस्था करने के लिए नप कर्मी को 2 हज़ार रुपये तक देने पड़ रहे हैं. हालांकि, बाद में श्मशान घाट पर पहुंचने के पश्चात शवदाह से लेकर अन्य तमाम क्रिया-कलाप परिजनों को अपने खर्चे व सामर्थ्य पर ही करने पड़ रहे हैं. 





- अभी तक नहीं लगाया गया है रेट लिस्ट, हो रही मनमानी वसूली
- साफ-सफाई से लेकर नागरिक सुविधाओं की भी है कमी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना के बढ़ते प्रकोप से मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. कई लोग तो अन्य बीमारियों से भी मर रहे हैं लेकिन, स्थिति यह है श्मशान घाट पर जलने वाली लाशों में तकरीबन 6 गुना ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है. आम दिनों में जहां 30 से 35 शव अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचते हैं वहीं, आजकल 200 से ज्यादा लोग शवों को लेकर पहुंचे हैं. ऐसे में श्मशान घाट पर भी अंत्योष्टि के सामानों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. लोगों की माने तो पहले भी कीमत अधिक लिए जाने की बात सामने आती थी लेकिन, अब तो लूट वाले हालात हैं. मजे की बात यह है कि प्रशासन के द्वारा रेट लिस्ट लगाए जाने की बात कई बार कहे जाने के बावजूद अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था बहुत देखने को नहीं मिली. कुछ दिनों तक उद्घोषणा के द्वारा लकड़ी-गोयठा तथा अन्य सामानों के दाम बताने की प्रक्रिया की गई लेकिन, ज्यादा दिन तक ऐसा नहीं चल सका.




घाट पर बैठने तक की व्यस्था नहीं:

श्मशान घाट पर शवदाह के लिए पहुंचने वाले व्यक्तियों को कच्चे रास्तों से किसी तरह गिरते- संभलते हुए घाट पर पहुंचना पड़ता है, हालात यह हैं कि शवदाह के लिए पहुंचे लोगों के बैठने की कोई खास व्यवस्था नहीं होने के अभाव में घंटों तक खड़े होकर वहां शवदाह का इंतजार करना पड़ता हैं. साफ-सफाई की व्यवस्था तो बिल्कुल ही नहीं है आवारा पशु भी विचरण करते हुए नजर आते हैं. इतना ही नहीं लकड़ियां आदि भी घाटों पर बिखरी नज़र आती हैं. बताया जाता है कि लकड़ी से लेकर पानी का बोतल बेचने वाले भी ठेकेदार को पैसा देते हैं लेकिन, साफ-सफाई से तक की व्यवस्था यह है कि सड़कों पर जाड़ा-गर्मी या बरसात हर माह में पानी बहता नज़र आता है.


कई गुना अधिक हुई अंत्येष्टि के सामानों की कीमत:

श्मशान घाट पर अंत्येष्टि के सामानों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. महामारी के दौरान लूट और भी बढ़ गई. पहले लकड़ियां क्विंटल के हिसाब से मिलती थी वहीं अब मन (40 किलो) के हिसाब से बेची जा रही हैं. आम की लकड़ी 14 सौ रुपये मन तथा देवदार की लकड़ी 24 सौ रुपये मन बिक रही है. गोयठा या उपला जो आम दिनों में 480 से 500 सौ रुपये सैकड़ा तक बिकता था वह अब 1000 रुपये के भाव से बिक रहा है. शकील की कीमत 1000 रुपये किलो घी 800 रुपये किलो तथा प्रति शव डोम और फक्कड़ को मिलकर 5000 हज़ार तक वसूल रहे हैं. 

कोविड संक्रमित मरीजों के शवदाह के लिए परिजन ही कर रहे व्यवस्था:

कोविड-संक्रमण से मृत व्यक्तियों के शव-दाह के लिए नगर परिषद के द्वारा व्यवस्था कराए जाने की बात कही गई लेकिन, स्थिति यह है कि कोविड संक्रमित मरीजों के शवों को गाड़ी तक उठाकर रखने तक की व्यवस्था करने के लिए नप कर्मी को 2 हज़ार रुपये तक देने पड़ रहे हैं. हालांकि, बाद में श्मशान घाट पर पहुंचने के पश्चात शवदाह से लेकर अन्य तमाम क्रिया-कलाप परिजनों को अपने खर्चे व सामर्थ्य पर ही करने पड़ रहे हैं. ऐसे में संक्रमण की स्थिति और भी भयावह होती नजर आ रही है.

शवों को अस्पताल में छोड़ रहे लोग, जल प्रवाह भी जोरों पर:

इन सब परेशानियों से बचने के लिए लोग अब शवों को अस्पताल से लेने तक से इनकार तक कर दे रहे हैं. जिसके बाद लावारिस हालात में पड़े शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए अस्पताल प्रबंधक व नप की कार्यपालक पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी गयी है. कई लोग अब शवों का जल प्रवाह कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों की अवहेलना भी कर रहे हैं.

कहती हैं कार्यपालक पदाधिकारी:

घाट पर अंत्येष्टि की सामग्रियों को बेचने वाले लोगों से एक सप्ताह पहले बात हुई है. रेट लिस्ट भी जल्द ही लगा दिया जाएगा. शवदाह के लिए भी हमारी टीम लगी हुई है. कोविड संक्रमित मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार हमारे लोगों के द्वारा किया जाता है.

प्रेम स्वरूपम
कार्यपालक पदाधिकारी,
नगर परिषद



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