ग्रामीण चिकित्सकों को मानदेय पर बहाल करे सरकार: डॉ. मनोज

बिहार में जनसंख्या के मुताबिक न तो डॉक्टर हैं ना ही नर्सिंग स्टाफ. जब कोरोना संक्रमण कंट्रोल से बाहर होने लगा तो बिहार की सरकार ने संविदा पर डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों की बहाली करने का ऐलान किया. यह बिहार सरकार की विफलता का उदाहरण है.





- कहा, आज के परिपेक्ष्य में बेहतर काम कर रहे हैं ग्रामीण चिकित्सक
- सरकार पर लगाया सुस्ती बरतने का आरोप कहा, आपदा से लड़ने को नहीं है तैयारी


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार प्रदेश युवा अधिवक्ता कल्याण समिति संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. मनोज कुमार यादव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की स्थिति चरमरा गई है. खास तौर पर बिहार में जनसंख्या के मुताबिक न तो डॉक्टर हैं ना ही नर्सिंग स्टाफ. जब कोरोना संक्रमण कंट्रोल से बाहर होने लगा तो बिहार की सरकार ने संविदा पर डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों की बहाली करने का ऐलान किया. यह बिहार सरकार की विफलता का उदाहरण है. समय रहते बिहार सरकार में रहने वाले जनप्रतिनिधियों को सोचना चाहिए कि संख्या के मुताबिक सिर्फ पुलिस की बहाली से काम चलने वाला नहीं है हर विभाग की तैयारी अपने आप करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज गांव-देहात में रहने वाले ग्रामीण चिकित्सकों का इस महामारी में काफी योगदान देखने को मिल रहा है. ग्रामीण चिकित्सक आज नहीं होते तो बिहार ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ही चरमरा जाती लेकिन, आज भी सरकार व लोगों के द्वारा कि ग्रामीण चिकित्सकों को  झोलाछाप चिकित्सक कह कर  अपमानित और गलत निगाह से से देखने का कार्य होता है जबकि जो स्थिति है उसमें बहादुरी का काम ग्रामीण चिकित्सक कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि, मेरा अपना मानना है कि ग्रामीण चिकित्सकों की बहाली  तीस हजार रुपये मानदेय के तौर पर होती है तो  बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक हो सकती है. प्रत्येक पंचायत स्तर पर कम से कम दो-दो चिकित्सकों का चयन सरकार उनके योग्यता के मुताबिक करे.  ग्रामीण चिकित्सक खास तौर पर जितनी तत्परता के साथ एक प्रशिक्षण डॉक्टर से भी बेहतर इलाज दे रहे हैं  वैसे लोगों की बहाली जिला स्तर पर बोर्ड का गठन करके तत्काल करनी चाहिए. साथ में उनके साथ एक सहायक ग्रामीण चिकित्सक की भी बहाली 15 हज़ार रुपये मासिक मानदेय पर होनी चाहिए तभी जाकर बिहार की चिकित्सा व्यवस्था सुधर सकती है.











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