एक करोड़ की सड़क से गायब कर दी गई दो पुलिया, अब नर्क बना लोगों का जीवन ..

अब नाली का पानी सीधे सड़क पर जा रहा है. जिससे करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़क भी खराब हो रही है. इतना ही नहीं गांव में भी नाली का गंदा पानी फैल रहा है. लोगों का कहना है कि आगामी मानसून में अब गंदी नालियों का पानी सीधे लोगों के घरों में प्रवेश करने लगेगा. ऐसे में मामले को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ सदर विधायक को भी इस परेशानी से अवगत कराया गया है लेकिन, उनके तरफ से कोई प्रयास अब तक नहीं हुआ है.





- बरसात के मौसम में लोगों के घरों में प्रवेश करेगा नालियों का गंदा पानी
- ग्रामीणों ने लगाया जनप्रतिनिधियों पर उदासीनता का आरोप

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर प्रखंड के पांडेय पट्टी से चक्रहंसी जाने वाले मार्ग की सड़क खराब हो जाने के बाद उसे ग्रामीण विकास अभियंत्रण के द्वारा बनाया गया लेकिन, बनने के कुछ समय के बाद से ही देखरेख के अभाव में यह सड़क बदहाल होने लगी है. अब तो स्थिति यह है कि इस सड़क पर नालियों का पानी आकर जमा हो गया है, जिससे कि सड़क टूट रही है. स्थानीय लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि इस सड़क पर पूर्व में दो पुलिया थी जिससे कि पानी सड़क के नीचे से दूसरी ओर निकल जाता था. दोनों पुलियों को सड़क निर्माण एजेंसी के द्वारा हटा दिया गया. ऐसे में अब नाली का पानी सीधे सड़क पर जा रहा है. जिससे करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़क भी खराब हो रही है. इतना ही नहीं गांव में भी नाली का गंदा पानी फैल रहा है. लोगों का कहना है कि आगामी मानसून में अब गंदी नालियों का पानी सीधे लोगों के घरों में प्रवेश करने लगेगा. ऐसे में मामले को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ सदर विधायक को भी इस परेशानी से अवगत कराया गया है लेकिन, उनके तरफ से कोई प्रयास अब तक नहीं हुआ है.

बताया जा रहा है कि, वर्ष 2017-18  में  इस सड़क की हालत खराब होने की वजह से तकरीबन दो वर्ष से नारकीय स्थिति झेल रहे लोगों की परेशानियों को देखते हुए ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 1 करोड़ 2 लाख 78 हज़ार 360 रुपये की लागत से पांडेय पट्टी-चक्रहँसी मुख्य मार्ग का निर्माण कराया गया था हालांकि, तकरीबन 6 माह पूरा होते-होते सड़क कई जगह से टूटने लगी. कारण जल-जमाव ही था.




नहीं है पानी निकलने का कोई भी रास्ता:

पांडेय पट्टी से पानी निकासी का कोई भी रास्ता नहीं है. इस सड़क के किनारे बने घरों के गृह स्वामियों के द्वारा घरों से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे सड़क पर बहाया जाता है. वहीं, बारिश में तो  सड़क  तालाब बन चुकी है. ऐसे में हालात यह बन गए हैं कि, कई वर्षों तक बदहाल सड़क का दंश झेलने के बाद जिस सड़क के निर्माण से लोगों ने काफी राहत महसूस की थी. एक बार फिर उस सड़क के टूट-फूट की कहानी लिखी जानी शुरु कर दी गयी है. विभाग के मुताबिक सड़क की 5 साल तक मरम्मति एवं अनुरक्षण के लिए 6 लाख 42 हज़ार रुपयों की राशि निर्धारित है. जिससे कि वह सड़क को दुरुस्त कराने की पहल करेगा लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि क्या यह स्थाई समाधान है?

बंद कर दी गई दो पुलिया, नाली निर्माण का भी कार्य बीच में ही रुका: 

स्थानीय निवासी संतोष ओझा बताते हैं कि, इस सड़क पर एफसीआई गोदाम के पास तथा उससे पहले भी एक एक पुलिया बनाई गई थी जिससे पानी दूसरी ओर निकल जाता था. निर्माण के समय दोनों पुलियों को ध्वस्त कर दिया गया. उपेंद्र मिश्र बताते हैं कि नालियों के गंदे जल के निकासी की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास निधि से तकरीबन 30 लाख की लागत से नाली का निर्माण होना था. लेकिन, योजना की पहली किस्त के रूप में तकरीबन 10 लाख 60 हज़ार रुपये की निकासी कर निर्माण तो कराया गया लेकिन, कार्य आधा-अधूरा ही रह गया है. अब तो इस पर कोई संज्ञान भी लेने वाला नहीं. 

जनता की समस्या से जनप्रतिनिधियों को सरोकार नहीं:

स्थानीय निवासी राधा कृष्ण सिंह बताते हैं कि जनता की समस्याओं से जनप्रतिनिधियों को अब कोई सरोकार नहीं रहता. उन्हें तो केवल योजनाओं के उद्घाटन से मतलब रहता है. इस सड़क के निर्माण के बाद अब तक अव्यवस्था की सुध लेने वाला कोई नहीं है. पांडेय पट्टी सरपंच प्रतिनिधि संजय तिवारी बताते हैं कि, सदर विधायक के अनुशंसा से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास निधि से बनी इस सड़क से गुजर कर जिले के कई बड़े जनप्रतिनिधि व अधिकारी प्रतिदिन आते-जाते हैं लेकिन, इस समस्या पर ध्यान नहीं देते ऐसे में जिलाधिकारी से मिलकर इस समस्या से उन्हें अवगत कराया जाएगा. हालात नहीं बदले तो इस मामले को लेकर भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

कहते हैं अभियंता:

स्टीमेट में केवल सड़क निर्माण की योजना थी नाली आदि का निर्माण हमें नहीं करना था हालांकि, पुलिया का निर्माण पूर्व में था अथवा नहीं इसकी जांच की जाएगी, जिसके बाद समस्या का निराकरण करने की कोशिश होगी.

महेश मोची,
कनीय अभियंता,
ग्रामीण विकास अभियंत्रण








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