श्रीसनातनशक्तिपीठसंस्थानम् की शाखा आध्यात्मिक सत्संग मंडल के संत उघारी बाबा का रविवार शिवरात्रि की रात में 96 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया. वे आरा जिले के बिहिया प्रखण्ड के बाँधा गाँव के मूल निवासी थे. उनका नाम श्रीनिवास ओझा था. महात्मा गॉंधी से प्रेरित होकर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था और एक ही धोती आधी पहनते और आधी ओढ़कर रहते थे. बिना चप्पल-जूते के गाँव-गाँव में घूमते थे.
- 96 वर्ष की अवस्था में पैतृक निवास पर हुआ देहावसान, शोक संवेदनाओं का लगा तांता
- समाज कल्याण को त्याग दी नौकरी, तुलसी पर शोध करने पर मिली थी डॉक्टरेट की मानद उपाधि
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: श्रीसनातनशक्तिपीठसंस्थानम् की शाखा आध्यात्मिक सत्संग मंडल के संत उघारी बाबा का रविवार शिवरात्रि की रात में 96 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया. वे आरा जिले के बिहिया प्रखण्ड के बाँधा गाँव के मूल निवासी थे. उनका नाम श्रीनिवास ओझा था. महात्मा गॉंधी से प्रेरित होकर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था और एक ही धोती आधी पहनते और आधी ओढ़कर रहते थे. बिना चप्पल-जूते के गाँव-गाँव में घूमते थे.
उनके पुत्र सामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर ओझा ने बताया कि केवल एक धोती पहनने के कारण उनका नाम उघारी बाबा पड़ गया. वे शुरु में समाजवादी नेता और स्वतंत्रता सेनानी पं. रामानंद तिवारी के सहयोगी थे. बाद में अन्तर्राष्ट्रीय संत स्वामी अखिलेश जी और प्रसिद्ध रामायण-भागवत के वक्ता आचार्य भारतभूषण जी के साथ पूरे देश और नेपाल के कुछ भागों में विस्तृत भ्रमण किया था. वे गोस्वामी तुलसीदास जी, कबीर दास, महात्मा गॉंधी और भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर से अत्यधिक प्रभावित रहते थे. उनके नाती गंगा स्वच्छता से जुड़े युवा नेता सौरभ तिवारी ने बताया कि, वह जीवन पर्यंत देश हित तथा समाज हित की बातें कहा करते थे. तुलसी के पौधे पर शोध करने की वजह से उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गयी थी.
उनके निधन की सूचना पर आध्यात्मिक सत्संग मंडल के सदस्यों ने ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा आयोजित की. इस अवसर पर आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि उघारी बाबा समाज की सेवा में तत्पर त्यागी और भजनानन्दी महात्मा थे. वे सबके प्रति उदार, सबका हित करनेवाले तथा स्वयं अभाव में जीवन जीने वाले महात्मा थे. उनके भोजपुरी भाषणों और भजनों से पूरे शाहाबाद में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई थी. पं. मधेश्वर नाथ पाण्डेय, अधिवक्ता सत्येंद्र नारायण सिंह, अखिलेश्वर नाथ तिवारी, ब्रजकिशोर पाण्डेय, सियाराम दूबे, उमेश सिंह कुशवाहा, सचिव विश्वनाथ दूबे सहित तमाम सदस्यों ने उघारी बाबा को हँसमुख, परोपकारी, सत्संगी महात्मा और समाजसेवी बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
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