11 को रनर्स डे: ओलंपियन शिवनाथ सिंह की याद में ग्रामीण ट्रैक पर दौड़ेंगी नई प्रतिभाएं ..

शिवनाथ सिंह बचपन में गंगा नदी के किनारे नंगे पाव दौड़ा करते थे. जिसकी वजह से उनका चयन भारतीय सेना में हो गया. इसके बाद उन्हें यहीं से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला था. वर्ष 1974 में तेहरान एशियाड में 5000 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 108 नंबर की जर्सी पहन 14 मिनट साढ़े 20 सेकंड का समय निकालकर उन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था. 

 





- ओलंपियन शिवनाथ सिंह की याद में हर साल मनाया जाता है रनर्स डे
- 1978 में बनाए गए रिकॉर्ड के कोई नहीं कर पाया है बराबरी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले के मंझरिया के लाल ओलंपियन शिवनाथ सिंह की याद में आगामी 11 जुलाई को मंझरिया खेल मैदान में खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हें नमन किया जाएगा. इस प्रतियोगिता में 100 मीटर, 400 मीटर, 1600 मीटर की दौड़ के साथ-साथ ऊंची कूद, लंबी कूद और 16 पाउंड गोला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन होगा. आयोजनकर्ताओं में शामिल कौशल सिंह, सागर सिंह तथा टाईगर सिंह ने बताया कि महान मैराथन रनर शिवनाथ सिंह की याद में हर साल इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. 

उन्होंने बताया कि 1978 में शिवनाथ सिंह ने 2 घंटे 12 मिनट में फुल मैराथन यानी कि 42 किलोमीटर की दूरी पूरी कर एक राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया था. इस कीर्तिमान को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया ऐसे महान धावक की याद में हर साल रनर्स डे का आयोजन होता है. इस दिन लोगों को रनिंग से जोड़ना और फिटनेस के साथ एथलेटिक्स के क्षेत्र में उनका रुझान बढ़ाने की कोशिश की जाती है.

स्थानीय गांव के रहने वाले राजकुमार उपाध्याय बताते हैं कि शिवनाथ सिंह का जन्म 11 जुलाई 1946 को बक्सर जिले के मंझरिया में हुआ था उन्होंने अपने करियर के दौरान कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम की.

कौन थे शिवनाथ सिंह?

राजकुमार बताते हैं कि, शिवनाथ सिंह बचपन में गंगा नदी के किनारे नंगे पाव दौड़ा करते थे. जिसकी वजह से उनका चयन भारतीय सेना में हो गया. इसके बाद उन्हें यहीं से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला था. वर्ष 1974 में तेहरान एशियाड में 5000 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 108 नंबर की जर्सी पहन 14 मिनट साढ़े 20 सेकंड का समय निकालकर उन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था. इसके अतिरिक्त इसी इवेंट में उन्होंने 10 हज़ार मीटर की दौड़ में रजत पदक भी अपने नाम किया था. 

राजकुमार बताते हैं कि मंझरिया के इस लाल ने दोनों ही दौड़ नंगे पांव जीती थी और इतिहास रच दिया था. उनकी बेजोड़ प्रतिभा का ही कमाल है कि 5 हज़ार मीटर और 10 हज़ार मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड आज भी उन्हीं के नाम से दर्ज है. इसके अलावा सेना में नायब सूबेदार रखते हुए राष्ट्रपति से विशेष सेवा मेडल पाने वाले बिहार के एकमात्र एथलीट हैं. उनके करिश्माई प्रदर्शन के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया है. खेलों के महाकुंभ में भी उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी है. 

लगातार दो ओलंपिक (1976 मॉन्ट्रियल और 1980 मास्को) में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 1976  मॉन्ट्रियल ओलंपिक मैराथन दौड़ 42 किलोमीटर में 11वां स्थान भी हासिल किया था. उनका निधन 6 जून 2003 को 57 वर्ष की अल्पायु में हो गया लेकिन, उनके प्रदर्शन और जज्बे से आज भी बिहार के खिलाड़ी खुद को प्रेरित करते हैं.









Post a Comment

0 Comments