वीडियो: 300 साल पुराना वट वृक्ष हुआ धराशाई, पर्यावरण प्रेमियों में शोक की लहर, पूजा-अर्चना के साथ दी विदाई ..

300 साल पुराना वट वृक्ष धराशाई हो गया और लोगों ने पूजा-अर्चना करने के साथ उसकी विदाई की. लेकिन, यहाँ एक सवाल यह भी उठा कि इतने पुराने वृक्ष के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कोई योजना क्यों नहीं बनाई गई थी?

 







- पर्यावरण के प्रति लोगों की अटूट आस्था, बारिश में धराशाई हुए वृक्ष की पूजा-अर्चना के साथ हुई विदाई 
- ब्रह्मलीन संत पयहारी जी महाराज के द्वारा लगाया गया था वटवृक्ष


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पर्यावरण संरक्षण को लेकर सूबे में जल जीवन हरियाली अभियान चलाया जा रहा है लेकिन, इस अभियान के इतर भी लोगों के मन में पर्यावरण के प्रति कितनी श्रद्धा है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण सिमरी में उस वक्त देखने को मिला जब एक 300 साल पुराना वट वृक्ष धराशाई हो गया और लोगों ने पूजा-अर्चना करने के साथ उसकी विदाई की. लेकिन, यहाँ एक सवाल यह भी उठा कि इतने पुराने वृक्ष के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कोई योजना क्यों नहीं बनाई गई थी?

दरअसल, गुरुवार को हुई मूसलाधार बारिश के बाद मिट्टी की में पेड़ों के जड़ें की कमजोर हो चुकी पकड़ के कारण वह मिट्टी से उखड़ गया और वृक्ष भरभरा कर गिर पड़ा. वृक्ष इतना विशाल था कि उसके गिरने से सड़क मार्ग भी अवरुद्ध हो गया. जैसे ही इस बात की सूचना गांव में फैली लोग भागे-भागे मौके पर पहुंचे तथा वृक्ष की पूजा अर्चना शुरू कर दी. 


स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यह वट वृक्ष तकरीबन 300 साल पुराना था और इसे इलाके के प्रसिद्ध संत बिहारी जी महाराज ने अपने हाथों से लगाया था. जहां लोक श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा अर्चन करते थे. स्थानीय निवासी पंडित केशपति मिश्रा ने बताया कि ठाकुरबाड़ी के समीप लगाए गए इस वृक्ष में ब्रह्मलीन संत अपनी गायों को बांधा करते थे. उनका भी यह मानना था कि पर्यावरण संरक्षण मनुष्य के लिए बेहद जरूरी है. संक्रमण काल में इस जरूरत को और भी गहराई से समझा जाने लगा है और लोग वृक्षों को बचाने तथा नए पौधे लगाने में उत्सुकता दिखा रहे हैं.

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