डीएम की बड़ी कार्रवाई: सेवा से मुक्त हुए बच्चों के गुनाहगार ..

उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रात को वहां पहुंचते थे और रात तकरीबन 9:00 बजे वहां से निकलते थे उन्हें छोड़ने और लेने के लिए भी सरकारी गाड़ी आती थी लेकिन, उनके आगमन तथा प्रस्थान के संदर्भ में कोई एंट्री भी वहां मौजूद पंजी में नहीं होती थी. ऐसे में उनका चरित्र संदेहास्पद प्रतीत होता है.




- बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक राजकुमार सिंह, बाल संरक्षण पदाधिकारी नितेश कुमार व बाल गृह की काउंसिलर श्वेता पांडेय पदीय दायित्वों से मुक्त

- बाल गृह के बच्चों ने बताई थी अपनी व्यथा तो डीएम ने कराई थी मामले की जांच

- देर रात तक बाल गृह में बैठकी लगाते थे बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक

- मोतिहारी में पदस्थापन के दौरान भी लगे थे यौन शोषण जैसे संगीन आरोप

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिला मुख्यालय में अवस्थित बालगृह के बच्चों से मारपीट करने तथा संदिग्ध आचरण में लिप्त पाए जाने पर जिला बाल कल्याण समिति के अनुसार पर जिला पदाधिकारी अमन समीर के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक राजकुमार सिंह, बाल संरक्षण पदाधिकारी नितेश कुमार, बाल गृह की काउंसिलर श्वेता पांडेय को पदीय दायित्वों से मुक्त करते हुए समाज कल्याण विभाग के सचिव को भी उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए सभी प्रमाणों के साथ जिला पदाधिकारी के द्वारा पत्र प्रेषित कर दिया गया है. सामाजिक सुरक्षा कोषांग की सहायक निदेशक पूनम कुमारी को अगले आदेश तक सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई के दायित्वों के निर्वहन हेतु प्रतिनियुक्त किया गया है.

गौरतलब है कि दिनांक 02.07. 21 को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मदन सिंह, सदस्य डॉ शशांक शेखर, नवीन पाठक तथा योगिता सिंह के द्वारा बालगृह का निरीक्षण किया गया. इस दौरान यह पाया गया कि वहां आवासित के बच्चों के साथ मारपीट की गई है. बाद में इस बात की शिकायत जिला पदाधिकारी से की गई, जिसके आलोक में अपर समाहर्ता के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन हुआ. कमिटी द्वारा बालगृह का निरीक्षण किया गया तथा बच्चों से बातचीत की गई, तथा मामला सत्य पाया गया बच्चों के शरीर पर पिटाई के निशान भी थे. जिसके बाद संबंधित मामले की जांच रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को सौंप दी. जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बालगृह में लगाए गए 11 सीसीटीवी कैमरे में से कोई ऐसा कैमरा नहीं है जो दरवाजे से अंदर आने वाले व्यक्तियों को दिखा सके. इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया कि बालगृह में इनवर्टर आदि के कनेक्शन भी सभी कमरों में नहीं किए गए हैं. बिजली चले जाने के बाद जेनरेटर आदि की भी व्यवस्था नहीं की जाती जिससे बच्चों को काफी कष्ट होता है. साथ ही किसी अप्रिय घटना के होने की संभावना बनी रहती है. जबकि यह देखरेख काउंसलर की जिम्मेदारी होती है.

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जब बच्चों से पूछताछ की जा रही थी तो उस वक्त जिस बच्चे के द्वारा मारपीट की शिकायत की गई थी उसे भी वहां से हटाकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई. उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रात को वहां पहुंचते थे और रात तकरीबन 9:00 बजे वहां से निकलते थे उन्हें छोड़ने और लेने के लिए भी सरकारी गाड़ी आती थी लेकिन, उनके आगमन तथा प्रस्थान के संदर्भ में कोई एंट्री भी वहां मौजूद पंजी में नहीं होती थी. ऐसे में उनका चरित्र संदेहास्पद प्रतीत होता है.

मोतिहारी में भी राजकुमार सिंह पर लगा था यौन शोषण का आरोप:

बता दें कि राजकुमार सिंह के चरित्र पर पहले भी अंगुलियां उठती रही हैं. वर्ष 2018 में मोतिहारी में तत्कालीन सहायक निदेशक बालगृह के तौर पर पदस्थापित राजकुमार सिंह पर एक महिला कार्यपालक सहायक ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस आरोप के मद्देनजर वहां के तत्कालीन जिला पदाधिकारी रमण कुमार ने जांच के आदेश भी दिए थे जिसके जिसके बाद विभाग के द्वारा राजकुमार सिम पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित भी किया गया था. साथ ही उनके वेतन वृद्धि आदि पर भी रोक लगाई गई थी.










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