जमीन का गलत ढंग से दाखिल खारिज करने वाले अंचलाधिकारी समेत अन्य पर दर्ज होगी प्राथमिकी ..

भूमि सुधार उप समाहर्ता ने कहा कि, राजस्व कर्मी के लिए अंतिम संपूर्ण खतियान ही गीता और बाइबिल है यदि इसके आधार पंजी संधारित होती है और उसी के आधार पर दाखिल-खारिज नहीं किया जाता तो यह निश्चित रूप से कानून का उल्लंघन है. 

 





- गलत ढंग से पॉवर ऑफ अटॉर्नी करा कर बेची गई थी दूसरे की जमीन
- खतियान के साक्ष्यों को दरकिनार कर किया गया गलत ढंग से दाखिल-खारिज

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गलत ढंग से जमीन की दाखिल-खारिज करने का आरोप सिद्ध होने पर अंचल अधिकारी तथा राजस्व कर्मी तथा अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी. इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई है. यह फैसला भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा जनवरी 2020 में लाए गए दाखिल-खारिज अपील वाद की सुनवाई करते हुए पिछले माह की 28 तारीख दिया गया. जिसके पश्चात विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया गया है.

मामला सोहनी पट्टी के 31.125 डिसमिल जमीन के गलत दाखिल खारिज से जुड़ा हुआ है. यह जमीन गलत ढंग से बिक्री करने के पश्चात इसके दाखिल-खारिज के लिए तत्कालीन अंचलाधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह के समक्ष आवेदन दिया गया, जिसके बाद अंचलाधिकारी व राजस्व कर्मी कृष्ण मुरारी ओझा ने बिना खतियान आदि का अवलोकन किए ही दाखिल-खारिज कर दिया. ऐसे में सोहनी पट्टी के रहने वाले प्रमोद कुमार पांडेय वगैरह ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के समक्ष अपील वाद दायर किया जिसमें उन्होंने बताया की सोहनी पट्टी की उनकी खतियानी जमीन का स्थानीय निवासी फुलेश्वरी देवी के द्वारा 24 फरवरी 2009 को गलत ढंग से पॉवर ऑफ अटॉर्नी जयप्रकाश मिश्र नामक व्यक्ति के नाम से बना दिया गया. बाद में जयप्रकाश मिश्र नामक व्यक्ति ने 27 सितंबर 2019 को यह जमीन रामजी वर्मा एवं सुभाष राय नामक व्यक्तियों को बेच दी जिसके बाद में राम जी वर्मा एवं सुभाष राय के द्वारा इस जमीन का अपने नाम से दाखिल-खारिज भी करा लिया गया.

प्रमोद कुमार पांडेय वगैरह का कहना है कि, इस जमीन की बिक्री 27 सितंबर 2019 को हुए गई रिविजनल सर्वे के आधार पर की गई है जबकि, उसका खतियान अंतिम रूप से 1978-79 में ही संपुष्ट हो चुका है. ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि अंचलाधिकारी तथा राजस्व कर्मी की मिलीभगत से गलत ढंग से जमीन का दाखिल-खारिज कराया गया है.

जानबूझकर की गई गलती, डीएम से एफआइआर करने का अनुरोध:

अपने आदेश में भूमि सुधार उप समाहर्ता ने बताया है कि, जमीन के दाखिल खारिज से पूर्व उसका स्थलीय निरीक्षण किया जाता है लेकिन, राजस्व कर्मी द्वारा ऐसा भी नहीं किया गया साथ ही गलत ढंग से ऑनलाइन जमाबंदी भी कायम की गई. ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि यह काम जानबूझकर किसी को फायदा पहुंचाने के लिहाज से किया गया है. ऐसे में उन्होंने जिला समाहर्ता से अंचलाधिकारी, राजस्व कर्मी तथा षड्यंत्र में शामिल सभी व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की अनुशंसा की है. साथ ही साथ अंचलाधिकारी तथा राजस्व कर्मी पर विभागीय कार्रवाई किए जाने की भी अनुशंसा की है.

अंतिम संतुष्ट खतियान ही है गीता और बाइबल, इसी के आधार पर होगा दाखिल-खारिज:

भूमि सुधार उप समाहर्ता ने कहा कि, राजस्व कर्मी के लिए अंतिम संपूर्ण खतियान ही गीता और बाइबिल है यदि इसके आधार पंजी संधारित होती है और उसी के आधार पर दाखिल-खारिज नहीं किया जाता तो यह निश्चित रूप से कानून का उल्लंघन है. और ऐसा करने वाले शिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

कहते हैं अधिकारी:

भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा अपीलीय वाद के अंतर्गत दिए गए आदेशों से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया जाता है. साथ ही नियमानुसार विभागीय कार्रवाई के लिए भी पत्र को अग्रेषित किया जाता है, जिसके बाद प्राप्त आदेश के आलोक में कार्रवाई होगी.

विकास जायसवाल
उप समाहर्ता, स्थापना










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