अपराध को स्वीकार कर कम करा सकते हैं सज़ा ..

कैदियों के लिए 'प्ली बारगेनिंग' विषय पर जानकारी देते हुए कई अहम बातें बताईं. उन्होंने बताया कि कोई भी कैदी जिसकी सजा सात वर्ष से कम हो, वह प्ली बारगेनिंग के जरिये अपने द्वारा किये गए अपराध स्वीकार कर अपनी सजा कम करवा सकता है.




- जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा कैदियों को दी गई जानकारी
- केंद्रीय कारा में आयोजित किया गया था जागरूकता कार्यक्रम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जेल में जाने वाला हर व्‍यक्ति स्‍वभाव से अपराधी ही नहीं होता. कई बार आवेश में तो कई बार मजबूरी या नासमझी में आदमी से गलती हो जाती है. न्यायालय में जब अपराध के मामलों की सुनवाई होती है तो न्‍यायाधीश इन मसलों पर भी विचार करते हैं, जिससे सजा की गंभीरता तय की जाती है. अगर अपराधी चाहे तो न्‍यायालय उसकी सजा कम कर सकता है. ऐसा संभव है. इसका फायदा पहले से सजा भुगत रहे अपराधी भी उठा सकते हैं. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में केंद्रीय कारा में विधिक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी कैदियों को दी गई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष अंजनी कुमार सिंह के निर्देश पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था.





जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव धर्मेंद्र तिवारी ने कैदियों को संबोधित किया और उनकी समस्याएं सुनी. उन्होंने बताया कि गुनहगार अपनी गुनाहोंं को कुबूल कर अगर कोर्ट से माफी मांगता है तो उसकी सजा कम हो सकती है. अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार ने कैदियों के लिए 'प्ली बारगेनिंग' विषय पर जानकारी देते हुए कई अहम बातें बताईं. उन्होंने बताया कि कोई भी कैदी जिसकी सजा सात वर्ष से कम हो, वह प्ली बारगेनिंग के जरिये अपने द्वारा किये गए अपराध स्वीकार कर अपनी सजा कम करवा सकता है.


महिला के खिलाफ अपराध में नहीं मिलती है छूट:

अधिवक्‍ता ने बताया कि अपनी सजा कम करवाने के लिए कैदी को संबंधित कोर्ट में आवेदन देना होगा. इसमें वैसे विवाद नहीं शामिल किया जाते, जिसमें  पीड़‍ित पक्ष महिला हो. शिविर में ही बंदी उपेंद्र राय ने अपने वाद में अपराध को स्वीकार कर अपनी सजा कम कराने को ले निवेदन किया. इनका आवेदन संबंधित कोर्ट में भेजा जाएगा. कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक श्री राजीव कुमार, पारा विधिक स्वयंसेवक अविनाश श्रीवास्तव, सहायक कर्मी दीपेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे.







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