जीवत्पुत्रिका (जीउतिया) व्रत कल, 30 को होगा पारण ..

कहा कि व्रती महिलाएं 28 सितंबर मंगलवार को रात्रि में 3:00 बजे भोर तक कभी भी अन्न जल ग्रहण कर सकती हैं. इसमें यह नहीं सोचना है कि अष्टमी तिथि प्रारंभ हो गई है कहीं शास्त्र में वर्णन नहीं है कि अष्टमी प्रारंभ हो गई तो व्रत प्रारंभ हो गया.


 





- कर्मकांड केसरी प्रोफेसर मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री ने दी जानकारी
- कहा, उदया तिथि में मनाना चाहिए कोई भी व्रत

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है. प्रो०मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री बताते हैं कि पुत्र की दीर्घायु एवं कुशलता की कामना से किया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत का मान 29 सितंबर बुधवार को किया जाएगा. जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 30 सितंबर गुरुवार को सूर्योदय के बाद से कभी भी किया जाएगा. प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को जीमूत वाहन पूजा होता है. 




उन्होंने बताया कि 28 सितंबर को अपराह्न 03:03 बजे के उपरांत अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और अगले दिन यानी कल 29 सितंबर को दिन मे 04:54 तक अष्टमी तिथि भोग कर रही है. इसके बाद उसी दिन 04:55 से नवमी तिथि प्रारंभ हो रही है जो अगले दिन यानी 30 सितंबर को संध्या 06:24 तक नवमी तिथि भोग कर रही है.

इस वर्ष सर्वसम्मति से 29 सितंबर दिन बुधवार को सूर्योदय कालीन अष्टमी में व्रत करते हुए 30 सितंबर दिन गुरुवार को सूर्योदय के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण किया जाएगा.

आचार्य ने कहा कि व्रती महिलाएं 28 सितंबर मंगलवार को रात्रि में 3:00 बजे भोर तक कभी भी अन्न जल ग्रहण कर सकती हैं. इसमें यह नहीं सोचना है कि अष्टमी तिथि प्रारंभ हो गई है कहीं शास्त्र में वर्णन नहीं है कि अष्टमी प्रारंभ हो गई तो व्रत प्रारंभ हो गया.

व्रत उदया तिथि अष्टमी में प्रारंभ होता है इसलिए किसी के बहकावे में ना पड़े. ब्राह्मण से यह प्रश्न नहीं करें की अष्टमी तिथि कब प्रारंभ हो रही है. उसका कोई औचित्य नहीं है. अष्टमी तिथि सूर्योदय में प्रारंभ होगी जो 29 सितंबर बुधवार से लागू होगा. कोई भी तिथि का मान सूर्योदय काल से होता है.






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