वीडियो : अश्विन महिने में शुरू हुआ जल तर्पण संस्कार, रामरेखा घाट पर उमड़ी भीड़ ..

ऐसा माना जाता है कि इस मास में सूक्ष्म रूप में पितर धरती पर आते हैं जिसके चलते उनके परिजन पिंड स्वरूप उन्हें जल अर्पण करते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं. पितृपक्ष मेले को लेकर जहां रामरेखा घाट पर काफी संख्या में भीड़ देखी जा रही है वहीं पंडा समाज लोगों की अगुवाई में जुटा हुआ है. 

 






- रामरेखा घाट पर देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु
- सूक्ष्म रूप में पितरों के पहुंचने की है मान्यता

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का पक्ष 21 सितंबर यानी आज से शुरू हो चुका है. पितृपक्ष हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो कर आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहेगा. पितृपक्ष पितरों (अपने पूर्वजों) का ध्यान और तर्पण विधि की जाती है. जिनकी वजह से हम इस दुनिया में हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृगण देवताओं के समान ही आशीर्वाद और शाप देने की क्षमता रखते हैं. इनकी प्रसन्नता से परिवार में उन्नति और सफलता आती है और नाराजगी से परिवार में कोई न कोई परेशानी बनी रहती है. पितृ पक्ष का अंतिम श्राद्ध 6 अक्‍टूबर को होगा.



पितृपक्ष का आरंभ 21 सितंबर यानी आज से हो रहा है लेकिन 20 सितंबर को पोष्ठपदी पूर्णिमा का श्राद्ध आरंभ हो जाता है. पूर्णिमा के दिन अगस्त मुनि का तर्पण करके उनको जल दिया जाता है और इसके बाद प्रतिपदा तिथि यानी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की पहली तिथि 21 सितंबर से पितरों को जल दिया जाएगा. इसमें किसी भी पक्ष में जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनके नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाया जाता है, जबकि पूरे पक्ष में उनके नाम का जल दिया जाता है. 

नगर के रामरेखा घाट पर अश्विन मास के प्रथम तिथि से जल अर्पण करने वालों की भीड़ जुटने शुरू हो गई है. ऐसा माना जाता है कि इस मास में सूक्ष्म रूप में पितर धरती पर आते हैं जिसके चलते उनके परिजन पिंड स्वरूप उन्हें जल अर्पण करते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं. पितृपक्ष मेले को लेकर जहां रामरेखा घाट पर काफी संख्या में भीड़ देखी जा रही है वहीं पंडा समाज लोगों की अगुवाई में जुटा हुआ है. ज्ञात हो कि बक्सर के रामरेखा घाट पर उत्तरायण गंगा के गोद में हर वर्ष लाखों लोग जल तर्पण करने पहुंचते हैं स्थानीय ब्राह्मण एवं ज्योतिषाचार्य प्रभंजन भारद्वाज बताते हैं कि यह पूजा एक तरह का सलाना श्राद्ध है जिसमें हम पितरों की शांति के लिए तर्पण करते हैं बक्सर के रामरेखा घाट पर सुबह से ही काफी भीड़ देखी जा रही है लेकिन बावजूद इसके प्रशासन ने गोताखोर एवं सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की है स्थानीय पुजारी अमरनाथ पांडेय ने बताया कि यह तर्पण अश्विन मास के प्रथम तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है, जिसमें पूरे देश से लोग तर्पण करने रामरेखा घाट पहुंचते हैं जिसको लेकर बक्सर का पंडा समाज और आने वाले श्रद्धालुओं  को पूजा पाठ करने में मदद कर रहा है.

श्राद्ध की तिथियां

20 सितंबर 2021- पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध)
21 सितंबर 2021- प्रतिपदा का श्राद्ध
22 सितंबर 2021- द्वितीया का श्राद्ध
23 सितंबर 2021- तृतीया का श्राद्ध
24 सितंबर 2021- चतुर्थी का श्राद्ध
25 सितंबर 2021 - पंचमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2021 -षष्ठी का श्राद्ध
27 सितंबर 2021 - सप्तमी का श्राद्ध
28 सितंबर 2021- अष्टमी का श्राद्ध
29 सितंबर 2021- नवमी का श्राद्ध
30 सितंबर 2021- दशमी का श्राद्ध
01 अक्टूबर 2021- एकादशी का श्राद्ध
02 अक्टूबर 2021- द्वादशी का श्राद्ध
03 अक्टूबर 2021- त्रयोदशी का श्राद्ध
04 अक्टूबर 2021- चतुर्दशी का श्राद्ध
05 अक्टूबर 2021- सर्वपितृ श्राद्ध







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