वीडियो : जिले भर में धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा पूजा ..

बताया कि अबकी बार विश्वकर्मा पूजा में सर्वाद्धसिद्धि योग अत्यंत शुभ फल देने वाला है. फैक्ट्री, दुकान आदि के स्वामी अपनी पत्नी के साथ पूजा करना विशेष शुभ फल देगा. उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार बाबा विश्वकर्मा पितरों की श्रेणी में आते हैं. सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश के साथ पितरों का पृथ्वीलोक में आगमन मान लिया जाता है. वह हमारी श्रद्धा भक्ति के प्रसन्न होकर धन, वंश एवं आजीविका वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. 

 





- कल कारखानों में पूजे गए भगवान
- सभी धर्मों को वर्गों के लोगों ने एक साथ मिल की पूजा अर्चना

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले भर में शुक्रवार को भगवान विश्वकर्मा की पूजा धूम-धाम से की गई. कोरोना के कारण विगत दो वर्षों से लोग पर्व-त्योहार ठीक तरह से नहीं मना पा रहे थे लेकिन, इस बार जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में दर्जनों जगहों पर प्रतिमा स्थापित की गई. रेलवे स्टेशन, बेरोजगार ऑटो संघ के स्टैंड, थर्मल पॉवर प्लांट चौसा,  औद्योगिक क्षेत्र में सुरेश इंटरप्राइजेज समेत विभिन्न इकाइयों, गजेंद्र ह्यूम पाइप समेत छोटे-बड़े कल कारखाने से ले कर मोटर गैराजों में सुबह से ही लोग पूजा अर्चना में जुट गए थे. रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच पूजा-अर्चना को लेकर उल्लास में कोई कमी नहीं देखी गई. शाम में कई जगहों पर जागरण आदि के कार्यक्रम भी आयोजित हैं. कई लोगों ने इस मौके पर एक दिन पूर्व से ही अखंड हरिकीर्तन का आयोजन किया था. वहीं कई स्थानों पर विभिन्न धर्म तथा वर्गों के लोग एक साथ मिलकर पूजा अर्चना करते हुए देखे गए, जिससे कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब भी खुलकर सामने दिखाई दे रही थी.



विश्वकर्मा पूजा के संदर्भ में विस्तार से जानकारी देते हुए आचार्य सर्वेश कुमार चतुर्वेदी बताते हैं कि सनातन धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. श्रद्धालु भगवान विश्वकर्मा के साथ-साथ अपने औजारों, मशीनों और दुकानों की भी पूजा करते हैं. इस पूजा को करने के पीछे मान्यता है कि इससे व्यक्ति की शिल्पकला का विकास होता है और व्यापार में तरक्की मिलती है. हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है.

उन्होंने बताया कि अबकी बार विश्वकर्मा पूजा में सर्वाद्धसिद्धि योग अत्यंत शुभ फल देने वाला है. फैक्ट्री, दुकान आदि के स्वामी अपनी पत्नी के साथ पूजा करना विशेष शुभ फल देगा. उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार बाबा विश्वकर्मा पितरों की श्रेणी में आते हैं. सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश के साथ पितरों का पृथ्वीलोक में आगमन मान लिया जाता है. वह हमारी श्रद्धा भक्ति के प्रसन्न होकर धन, वंश एवं आजीविका वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वास्तु, निर्माण या यांत्रिक गतिविधियों से जुड़े लोग अपने शिल्प एवं उद्योग के लिये देवशिल्पी की पूजा करते हैं.

इस दिन यंत्रों की सफाई और पूजा होती है और कल कारखाने बंद रहते हैं. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका और लंकापुरी का निर्माण उन्होंने ही किया था. अबकी बार सुबह से ही सर्वार्थसिद्धि योग रहा. राहुकाल प्रात: 10 : 30 से 12 बजे के बीच होने से इस समय पूजा निषिद्ध थी बाकी किसी भी समय पूजा करने वालों को विशेष फल की प्राप्ति होगी.

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