वीडियो: साहित्यकारों ने जताई हिंदी की दुर्दशा पर चिंता ..

मौके पर मौजूद साहित्यकारों ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण हिंदी अभी तक राजकाज की भाषा नहीं बन पाई है. ऐसे में भारत जैसे हिंदी राष्ट्र तथा उसके निवासियों के लिए यह दुर्भाग्य का विषय है. वक्ताओं ने कहा कि हर बच्चे को अपनी मां की पहचान होती है लेकिन, देश के लोग आज अपनी मां को ही भूल गए हैं. 

 





- हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित हुई विचार गोष्ठी
- कहा आवश्यकता पड़ी तो सड़कों पर उतर कर करेंगे प्रदर्शन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : भोजपुरी साहित्य मंडल की जिला इकाई के बैनर तले स्थानीय रामबाग मोहल्ले में साहित्यकार श्री भगवान पांडेय के निवास पर हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वर्तमान समय में हिंदी की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की गई. मौके पर मौजूद साहित्यकारों ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण हिंदी अभी तक राजकाज की भाषा नहीं बन पाई है. ऐसे में भारत जैसे हिंदी राष्ट्र तथा उसके निवासियों के लिए यह दुर्भाग्य का विषय है. वक्ताओं ने कहा कि हर बच्चे को अपनी मां की पहचान होती है लेकिन, देश के लोग आज अपनी मां को ही भूल गए हैं. 




मौके पर मौजूद साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी, साहित्यकार डॉ अरुण मोहन भारवि धन्नू लाल 'प्रेमातुर' राजारमन पांडेय, श्रीभगवान पांडेय 'निराश' शिव बहादुर पांडेय 'प्रीतम' रिटायर्ड एडीएम दीप नारायण सिंह ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह हिंदी को विद्यालयों, महाविद्यालयों में विज्ञान आदि विषयों की पढ़ाई में हिंदी भाषा का प्रयोग होना चाहिए. वक्ताओं ने यह भी कहा कि हिंदी की उन्नति और विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि लोग भावी पीढ़ी को हिंदी के समृद्धशाली इतिहास से परिचय कराते हुए उन्हें भाषा की शुद्धता का भी ज्ञान कराएं. प्रबुद्ध जनों ने कहा कि हिंदी को उसका गौरव वापस दिलाने के लिए यदि आवश्यकता पड़ी तो सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया जाएगा.

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