सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन है पराली जलाने का दुष्परिणाम ..

जीरो टिलेज सीड कम फर्टी ड्रील से पराली प्रबंधन कर गेहूॅं की बुवाई की जा सकती है. इससे धान की कटाई के तुरंत बाद नमी का उपयोग करके बिना जुते हुए खेत में एक निश्चित गहराई में मिट्टी के नीचे खाद तथा बीज को सीेधे लाईन में बुवाई किया जाता है. इससे समय की बचत के साथ-साथ आर्थिक लागत में कमी आती है.






- दो दिवसीय कृषि वार्तालाप कार्यक्रम का हुआ आयोजन
- हैप्पी सीडर का प्रयोग करने की दी गई जानकारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  जिले के डुमरॉंव प्रखंड स्थित ई किसान भवन के सभागार में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) द्वारा दिन वृहस्पतिवार को दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक वार्तालाप कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी-सह-परियोजना निदेशक,आत्मा मनोज कुमार ने बताया कि पराली प्रबंधन पर कृषक गण को सचेत होकर कार्य करने का आवश्यकता है. पराली जलाने से होने वाले नुकसान पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मानव जीवन में सांस लेने की समस्या, ऑंखों में जलन, नाक की समस्या, गले की समस्या इत्यादि प्रमुख है साथ ही मिट्टी के उर्वरा शक्ति में कार्बनिक पदार्थ की क्षति, जमीन में पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं का खत्म होना, एरोसोल के कण का उत्सर्जन के साथ हानिकारक गैसों का भी उत्सर्जन शामिल है, जो भविष्य के लिए खतरे की घंटी है..





उन्होने पराली प्रबंधन करने वाले यंत्र हैप्पी सीडर पर जानकारी देते हुए कहा कि संरक्षित खेती अंतर्गत हैप्पी सीडर से पराली के बीच गेहूॅं की बुवाई की जा सकती है. इस मशीन में पराली को हार्वेस्ट करने के लिए हार्वेस्टर लगा होता है, जो पराली को सिड्रील के आगे से उठाकर छोटे-छोटे टुकड़े में बदलकर बुवाई की गई फसल पर पलवार के रुप में बिछा देता है। ऐसा करने से मृदा में बीज अंकुरण के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी संरक्षित रहती है. मल्चर यंत्र पर चर्चा करते हुए बताया कि मल्चर एक प्रकार का कृषि यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर से जोड़कर चलाया जाता है. यह यंत्र फसल अवशेषों को काटकर मिट्टी में मिला देता है, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है. जीरो टिलेज सीड कम फर्टी ड्रील से पराली प्रबंधन कर गेहूॅं की बुवाई की जा सकती है. इससे धान की कटाई के तुरंत बाद नमी का उपयोग करके बिना जुते हुए खेत में एक निश्चित गहराई में मिट्टी के नीचे खाद तथा बीज को सीेधे लाईन में बुवाई किया जाता है. इससे समय की बचत के साथ-साथ आर्थिक लागत में कमी आती है.

आत्मा के प्रभारी उप परियोजना निदेशक विकास कुमार राय ने बीज टीकाकरण पर चर्चा की. उन्होने कहा कि रबी मौसम में लगाये जाने फसल के बीज को बीजोपचार कर ही खेतों में बुवाई करें, ताकि कीट-ब्याधि पर अधिकाधिक नियंत्रण कर आशातीत उत्पादक किया जा सके. आत्मा द्वारा गठित कृषक हितार्थ समूह तथा खाद्य सुरक्षा समूह का गठन पर चर्चा करते हुए कहा कि कम से कम दस तथा अधिक से अधिक बीस किसानों का चयन कर समूह का गठन करेें. आत्मा के सभी कार्यक्रमों का प्रवाह समूहों के माध्यम से ही होना है. मौके पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी, बीएफएससी अध्यक्ष हरेराम पाण्डेय, एटीएम मनोज चौधरी सहित प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे.






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