स्वच्छता सर्वेक्षण में एक बार फिर फिसड्डी रहा बक्सर, नप कार्यपालक पदाधिकारी ने माँगा जन सहयोग ..

2016 के बाद डंपिंग जोन की आवश्यकता प्रतीत होने लगी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक कचरा निस्तारण के लिए 5 एकड़ भूमि की जरूरत है, वह भी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के नियमों के अनुसार. ऐसे में पिछले 5 सालों से डंपिंग जोन की तलाश पूरी नहीं हो पा रही. 





- एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की सूची में 357 वां स्थान
- नप कार्यपालक पदाधिकारी ने लोगों से की शहर को साफ बनाए रखने की अपील

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शहरों की रैंकिंग में एक बार फिर बक्सर का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. देश के 1 से 10 लाख तक की आबादी वाले 372 शहरों की सूची में बक्सर को 357 वां स्थान प्राप्त हुआ है हालांकि, इस बात का संतोष लोग कर रहे हैं कि जहानाबाद, भागलपुर, पूर्णिया, सिवान और सासाराम जैसे शहर स्वच्छता के पैमाने पर बक्सर से भी पीछे हैं. बात अगर देश स्तर की करें तो गंगा के किनारे बसे 46 शहरों की सूची में भी बक्सर में अच्छी प्रगति की है और अंतिम स्थान से ऊपर चढ़कर 11 वें पायदान पर जगह बनाने में सफल रहा है. 

स्वच्छता की रैंकिंग में फिसड्डी रहने पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपमे ने जनता से भी सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा है कि कचरे को यत्र-तत्र ना फेंके जाए. गीला और सूखा कचरा अलग देने की आदत विकसित की जाए. साथ ही साथ प्लास्टिक के उपयोग से बचा जाए यह सब कर हम कुछ हद तक स्थिति को सुधार सकते हैं. नगर परिषद भी जल्द ही डंपिंग जोन की तलाश पूरी कर लेगा.



केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के द्वारा जारी स्वच्छता सर्वे की रैंकिंग में नगर के साफ-सफाई से लेकर कचरा निस्तारण तक के पैमाने पर विभिन्न शहरों का मूल्यांकन किया गया. इसमें सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता के लिए दिए गए. खुले में शौच मुक्ति, एकीकृत कचरा प्रबंधन, डोर टू डोर संग्रहण, सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय की स्थिति और व्यक्तिगत शौचालय की संख्या को भी सर्वे में शामिल किया गया है. 

माना जा रहा है कि बक्सर के पिछड़ने का कारण कचरा निस्तारण के लिए डंपिंग जोन का नहीं होना है. पहले जब नगर की आबादी 1 लाख से कम हुआ करती थी उस वक्त ऐसी बहुत सी जमीनें जो परती थी उनमें कचरे का डंप किया जाता था लेकिन, वर्ष 2016 के बाद डंपिंग जोन की आवश्यकता प्रतीत होने लगी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक कचरा निस्तारण के लिए 5 एकड़ भूमि की जरूरत है, वह भी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के नियमों के अनुसार. ऐसे में पिछले 5 सालों से डंपिंग जोन की तलाश पूरी नहीं हो पा रही. पिछले दिनों रामपुर में कचरा निस्तारण के लिए स्थान का चयन किया गया था लेकिन, वहां कचरा डंप किए जाने का भारी विरोध किया गया. फिलहाल अहिरौली स्थित मृत सरोवर में कचरे को डम्प किया जा रहा है लेकिन, वह स्थायी समाधान नहीं है.

जो रैंकिंग जारी की गई है उसके मुताबिक शाहबाद क्षेत्र में 1 लाख  से अधिक आबादी वाले जिलों में आ रहा भभुआ तथा औरंगाबाद बक्सर से बेहतर स्थिति में है. सासाराम का पूरे देश में सबसे अंतिम स्थान रहा वहीं, आरा बक्सर से चार पायदान ऊपर है. बक्सर ने अबकी बार कुल 1104 अंक हासिल किए जिसकी बदौलत वह पिछले से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहा. 

कहती हैं अधिकारी :

नगर परिषद के द्वारा डंपिंग जोन की तलाश की जा रही है. जो शीघ्र ही पूरी हो जाने की उम्मीद है. इसके अतिरिक्त लोगों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग देने की आदत भी विकसित की जा रही है. पुनर्चक्रण पिट को भी जल्द ही शुरू किया जाएगा. सड़क पर कचरा फेंकने वालों पर भी जुर्माना लगाए जाने की तैयारी है.

प्रेम स्वरूपम
कार्यपालक पदाधिकारी,
नगर परिषद बक्सर







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