प्रारंभ हुआ सिय-पिय मिलन महोत्सव, भक्तिमय हुआ माहौल..

जानकी के चरित्र में ही श्री राम निवास करते हैं इसीलिये रामायण को रामजी का घर कहा गया है. वैष्णवी परंपरा में पूज्य संतो ने श्रीराम के साकार स्वरूप की उपासना का प्रतिपादन किया है. उन्होंने आगे कहा कि वेदांत में जो प्रकाशित होते है वही भगवान है. यह चारों वेदों का सार है अतः चारों वेदों के सार स्वरूप भगवान श्री अवध धाम में चार रूपों में प्रकट हुए.
व्यासपीठ पूजन करते महंत राजा राम शरण दास महाराज व अन्य


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- प्रातः काल की रासलीला में माखन चोरी का दिखा दृश्य
- राधवाचार्य जी ने किया राम कथा का गायन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक चलने वाला श्री सीताराम विवाह महोत्सव सिय-पिय महोत्सव के बुधवार की सुबह से प्रारम्भ हो गया. इस दौरान पूरा नया बाजार का इलाका तथा आसपास का वातावरण भक्तिमय हो गया.  प्रातः काल में प्रभु श्री कृष्ण जी की लीला का आयोजन से जिसमें माखनचोरी की लीला को प्रदर्शित किया गया. माखनचोरी लीला के माध्यम से भगवान ने संसारी लोगों को यह उपदेश दिया कि हम माखनचोरी के रूप में अपने भक्तों के मन को ही चुराते हैं और उनके मन में भक्ति की धारा प्रवाहित करते हैं जिससे वह संसार के बधनों से मुक्त हो जाता है और मानव शरीर पाने का भी यही एकमात्र उद्देश्य है कि हम अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन कर दे  तभी हमारा जीवन सार्थक होगा.


संध्या काल की बेला में अवधधाम से पधारे जगदगुरु राधवाचार्य जी महाराज के श्रीमद बाल्मीकीय रामायण पर आधारित श्री रामकथा का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. सर्वप्रथम श्रीमद बाल्मिकीय रामायण और प्रवक्ता श्री राधवाचार्य महाराज जी का पूजन और आरती श्री बसांव पीठाधीश्वर श्री अच्युतप्रपन्नाचार्य जी महाराज , आश्रम के महंत राजरामशरण जी महाराज , गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी महाराज और छोटी मठिया के महंत स्वामी अनुराग दास जी सहित अनेक गणमान्य लोगों ने पूजन किया इसके पश्चात श्री राम कथा का गायन करते हुए श्री व्यास जी महाराज ने कहा जीवन का जितना समय श्रीराम कथा गाने , सुनने में बीतता है यही मानव के लिए सबसे बड़ा सौभाग्य का विषय है यह कथा वस्तुतः राम की कथा नही है बल्कि जगत जननी श्री जानकी की कथा है  जानकी के चरित्र में ही श्री राम निवास करते हैं इसीलिये रामायण को रामजी का घर कहा गया है. वैष्णवी परंपरा में पूज्य संतो ने श्रीराम के साकार स्वरूप की उपासना का प्रतिपादन किया है. उन्होंने आगे कहा कि वेदांत में जो प्रकाशित होते है वही भगवान है. यह चारों वेदों का सार है अतः चारों वेदों के सार स्वरूप भगवान श्री अवध धाम में चार रूपों में प्रकट हुए.







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