सुशासन के विभीषणों ! क्या वेतन से पेट नहीं भरता? उजड़े सुहाग, अनाथ मासूमों, आंसुओं भरी बूढ़ी आँखों का अपराधी कौन?

सूबे में कई स्थानों पर लगातार मौतें हो रही हैं. एक बार फिर बक्सर में आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई है तथा अन्य कई लोग मरने ही वाले हैं लेकिन, प्रदेश की सरकार के कारिंदे अब भी केवल गलती को छुपाने में लगे हुए हैं ना कि गलती को स्वीकार करने और उसे दूर करने में. 





- बिहार के हर इलाके में खुलेआम बिक रही शराब, फिर भी चल रही नौटंकी
- केवल बयानबाजी कर रहे हैं जिम्मेदार लोग, हर रणनीति विफल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सूबे में शराबबंदी है. पिछले कई सालों से सरकार चला रहे लोग यह कसम खाते हैं कि, "ना शराब पिएंगे और ना पीने देंगे .." लेकिन, यह कसम हमेशा झूठी साबित होती हैं. इस झूठी कसम ने लगातार बिहार में तांडव मचा कर रखा हुआ है. सूबे में कई स्थानों पर लगातार मौतें हो रही हैं. एक बार फिर बक्सर में आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई है तथा अन्य कई लोग मरने ही वाले हैं लेकिन, प्रदेश की सरकार के कारिंदे अब भी केवल गलती को छुपाने में लगे हुए हैं ना कि गलती को स्वीकार करने और उसे दूर करने में!


एक बार फिर शराबबंदी वाले राज्य में शराब बंदी हुई मौत के बाद कुछ लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है लेकिन, उन लोगों का क्या जिनके सिर से पति और पिता का साया उठ गया?जिन मां-बाप के बुढ़ापे की लाठी छीन गई उनको जवाब कौन देगा? हां इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिन लोगों की मौत हुई है उन्होंने स्वेच्छा से शराब पी थी लेकिन, जिस बिहार में शराबबंदी के दावे किए जा रहे हैं वहां शराब का सेवन करने की छूट कैसे मिल जा रही है? 

यह अब पूरी तरफ साफ हो चुका है कि माननीय मुख्यमंत्री के निर्देशों का अनुपालन कराना प्रशासन के लिए संभव नहीं है, और यदि ऐसा है तो फिर यह नौटंकी क्यों चल रही है? पिछले दिनों शाहाबाद क्षेत्र के नए-नए डीआईजी उपेंद्र कुमार शर्मा बक्सर पहुंचे थे. उन्होंने कहा था कि चूंकि बक्सर में उनका बतौर एसपी कार्यकाल बीता है. ऐसे में वह अपने मातहतों को कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं जिनसे की शराबबंदी का अनुपालन आसान  होगा लेकिन, साफ तौर पर यह देखा जा रहा है कि जिन को उन्होंने शराब विक्रय और सेवन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी दी थी उनका पेट उनकी तनख्वाह से नहीं भर रहा. ऐसे में वह समाज विरोधी ताकतों के साथ मिलकर शराब का कारोबार करा रहे हैं. यह लोग बिहार की अस्मिता एवं आर्थिक स्थिति को लगातार क्षति पहुंचा रहे हैं. साफ तौर पर कहा जाए तो ये कलयुग के वो विभीषण हैं जो राम नहीं समाज के रावणों के साथ ही मिले हैं. 

चन्द्रकान्त 











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