60 से ज्यादा महिला अधिवक्ता है इसके अतिरिक्त महिला आगंतुक भी आती हैं लेकिन, ना तो शौचालय और ना ही मूत्रालय की कोई बेहतर व्यवस्था है. इसके अतिरिक्त साफ-सफाई आदि की भी व्यवस्था बेहद बदहाल है. उन्होंने कहा कि जितने भी महासचिव अब तक बने हैं सब ने केवल अपना विकास किया है.
- चुनावी रणनीति बना रहे प्रत्याशी गोलबंदी का कर रहे प्रयास
- विकास के नाम पर वोट देने की बात कह रहे अधिवक्ता, कहा - "अब तक सब ने ठगा"
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : अधिवक्ता संघ के चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. अब व्यवहार न्यायालय परिसर ही बल्कि चाय दुकानों पर भी चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जा रही है. सबसे मलाइदार माने जाने वाले महासचिव पद पर एक साथ कई अधिवक्ताओं ने दावेदारी ठोक दी है हालांकि, चुनाव को लेकर अभी अधिसूचना नहीं जारी हुई है. ऐसे में प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन, अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करना भी शुरु कर दिया है. उधर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अबकी बार विजय श्री उसी को मिलेगी जो न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं तथा आगंतुकों की समस्याओं को दूर करने काबिल समझे जाएंगे.
महासचिव पद पर दावेदारी कर रहे हैं अधिवक्ता महेंद्र कुमार चौबे उर्फ मथुरा चौबे कहते हैं कि वह न्यायालय की समस्याओं को नजदीक से जानते हैं ऐसे में जीत के बाद वह समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेंगे. विन्देश्वरी पांडेय ने कहा कि महिलाओं के लिए यूरिनल आदि की समस्या को दूर किया जाएगा. अधिवक्ता सुरेंद्र तिवारी तथा वीरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि चुनाव की चर्चा तो चल रही है लेकिन, अब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में इन चर्चाओं का कोई खास मतलब नहीं है.
अधिवक्ता का आरोप, समस्याओं को हल करने के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए बनते हैं महासचिव :
अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार द्विवेदी ने बताया कि न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं से जुड़ी समस्याओं का अंबार है. यहां 60 से ज्यादा महिला अधिवक्ता है इसके अतिरिक्त महिला आगंतुक भी आती हैं लेकिन, ना तो शौचालय और ना ही मूत्रालय की कोई बेहतर व्यवस्था है. इसके अतिरिक्त साफ-सफाई आदि की भी व्यवस्था बेहद बदहाल है. उन्होंने कहा कि जितने भी महासचिव अब तक बने हैं सब ने केवल अपना विकास किया है अधिवक्ताओं के विकास में किसी को कोई मतलब नहीं रहा.
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