ओडीएफ करने के लिए तत्कालीन जिला पदाधिकारी रमन कुमार के साथ उन्होंने लोगों की सोच बदलने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अब अपनी इस क्षमता को वह अब पूर्व विधायक स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी तथा निवर्तमान मोहम्मदाबाद विधायक अलका राय को जिताने के लिए उपयोग में ला रहे हैं.
- टिकट नहीं मिलने के बाद भी सभी कार्यकर्ताओं के लिए उदाहरण बन रहे हैं मनोज राय
- इशारों इशारों में किया विरोधियों पर प्रहार, कहा - जो अवसर की तलाश में उनसे हमारी लड़ाई नहीं
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : उत्तर प्रदेश की मुहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीद में पीसीएस अधिकारी का पद त्याग कर भाजपा में गए मनोज राय को भले ही पार्टी के द्वारा टिकट नहीं दिया गया लेकिन उन्होंने एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह पूरे मनोयोग से भाजपा प्रत्याशी तथा पूर्व विधायिका रह चुकी सुनीता राय का चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. कभी बक्सर में प्रखंड विकास पदाधिकारी रहते हुए जिले को ओडीएफ करने के लिए तत्कालीन जिला पदाधिकारी रमन कुमार के साथ उन्होंने लोगों की सोच बदलने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अब अपनी इस क्षमता को वह अब पूर्व विधायक स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी तथा निवर्तमान मोहम्मदाबाद विधायक अलका राय को जिताने के लिए उपयोग में ला रहे हैं.
चुनावी रैली में मनोज राय के भाषण के बाद भाजपा के पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो गया है. अपने भाषण में उन्होंने एक प्रेरक कहानी को सुनाते हुए यह कहा कि आगामी 7 मार्च को इतिहास बदलने का दिन है. इस दिन चूक जाना ठीक उसी तरह होगा जैसे कि अपना घर जलता रहे और हम तमाशबीन होकर देखते रहे. ऐसे में सारे मतभेदों को भुलाकर भाजपा के जीत की कहानी लिखनी है तथा घटक दलों के साथ मिलकर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनानी है.
उन्होंने अपने भाषण में अन्य प्रत्याशियों पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई ऐसे लोगों से है ही नहीं जिन्हें यह नहीं पता कि वह किस पार्टी में है अपने लाभ के लिए जो लोग पार्टी बदलते हैं ऐसे लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि पार्टी के अंदर यदि आपस में कोई मतभेद हो तो उसे सुलझाने का समय अभी नहीं बल्कि चुनाव में जीत के बाद है.
बीएचयू से ही रहा है भाजपा से जुड़ाव :
बता दें कि, मूलत: गाजीपुर जिले के जोगा गांव के रहने वाले मनोज राय की शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हुई. वे विवि की शिक्षा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. राजनीति से उनका पुराना लगाव रहा. नौकरी में आखिरी समय छपरा के मशरक में पदस्थापित रहते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया और गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए.
स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय को मिला है टिकट :
मनोज राय मुहम्मदाबाद सीट पर भाजपा से टिकट चाहते थे. यह इलाका मुख्तार अंसारी के प्रभाव वाला रहा है. फिलहाल यहां अलका राय भाजपा की विधायक हैं और भाजपा ने इस बार भी उन्हीं को टिकट दिया है. अलका राय के पति कृष्णानंद राय भी भाजपा के विधायक थे, जिनकी हत्या कार्यकाल के दौरान ही कर दी गई. इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के नाम की चर्चा रही थी. उनकी हत्या में सौ राउंड से अधिक गोलियां आटोमेटिक हथियारों से चलाई गई थीं. एक वर्ग विशेष में अलका राय के प्रति इसके बाद से ही संवेदना रहती है. उधर, मनोज राय को टिकट नहीं मिलने से उनके सहयोगी निराश हैं लेकिन, इस निराशा को वह चुनाव परिणाम पर हावी नहीं होने देना कहा रहे.
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