दाम्पत्य जीवन की पवित्रता से होती है दिव्य संतान की उत्पत्ति : आचार्य पीतांबर प्रेमेश

श्रीराम कथा हमारे दैहिक तापों को समाप्त करने वाले हैं. कुल मिलाकर भगवान श्रीराम ही विश्व की उत्पत्ति के मूल कारण हैं. उनकी मुस्कान से ही सृष्टि का का निर्माण होता है. उन्होंने समुपस्थित भक्तों को धार्मिक संदेश देते हुए कहा कि लोग अपने दांपत्य जीवन को सुधारें, क्योंकि जब तक दांपत्य जीवन दिव्य पवित्र नहीं होगा, तब तक दिव्य संतान उत्पन्न नहीं होगी.





- गौरी शंकर मंदिर में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा
- सीता राम विवाह का किया गया सुंदर चित्रण

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नगर के गौरीशंकर मंदिर में संगीतामयी श्रीराम कथा के तहत मंगलवार को आचार्य श्री पीतांबर प्रेमेश जी महाराज ने कहा कि जब भगवान राम किशोरावस्था में पहुंच गए तब राजा दशरथ के आदेश एवं अपने गुरुओं की कृपा से भगवान अल्प काल में ही विद्या एवं सर्वगुण पारंगत हो गए. 


सीता स्वयंवर की कथा का विस्तार करते हुए आचार्य ने बताया कि दरअसल भगवान श्रीराम ने अहंकार रूपी धनुष का मर्दन किया है तथा जानकी मैया ने मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम का वरण कर मर्यादित जीवन का वरण किया है. उन्होंने कहा कि जहां सत्य स्नेह होता है, उसके मिलने में कोई संदेह नहीं होता है. उन्होंने पुष्प वाटिका प्रसंग की महत्ता सुनाते हुए कहा कि मुनि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को पूजा के लिए पुष्प लेने राजा जनक की वाटिका भेजा, वहां सीता जी भी माता गौरी की पूजा करने आई थीं. भगवान राम को देखकर माता सीता ने उन्हें पति रूप में पाने को माता की पूजा की. इस संदर्भ में सबसे खास बात यह है कि धनुष यज्ञ के दौरान तमाम महाबली राजा धनुष को सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ सके क्योंकि माता सीता का सत्य स्नेह भगवान श्रीराम पर था. बाद में भगवान ने धनुष को तोड़ कर माता सीता से विवाह किया. चूंकि, अहंकार का हमेशा नाश होता है,  इसलिए धैर्य के साथ जीवन में भगवान श्रीराम की मर्यादाओं को अपनाने से हमारा जीवन सुखमय हो सकता है.





इस अवसर पर परशुराम संवाद का भी संगीतमयी वर्णन कर आचार्य जी महाराज ने समुपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने राम-सीता विवाह के सामाजिक-धार्मिक संदर्भ को स्पष्ट करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम की आंनददायिनी कथा में सर्वत्र मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम के धैर्य, मधुरता, साहस एवं उदारता का वर्णन मिलता है. उन्होंने भगवान श्रीराम के जनकपुर में प्रवेश सहित मिथिला की स्त्रियों द्वारा की गई भगवान की सुंदरता मनमोहक छवि का वर्णन किया. अंततः भगवान श्रीराम का जनकनन्दिनी जानकी के साथ मंगल विवाह सम्पन्न हुआ. इस अवसर पर समूचे पण्ड़ाल में मौजुद श्रद्धालु नृत्य करने लगे तथा खुशी व्यक्त की. साथ ही आज श्रद्धालुओं ने राम जानकी विवाह में बढ़-चढक़र कन्यादान कर धर्म लाभ अर्जित किया. उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार का गुण उनके परिवार से मिलता है. माता पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को रोजाना घर मे होने वाली आरती में शामिल करें. इससे उनके अंदर भक्ति का भाव उत्पन्न होगा तथा उनमें अच्छे संस्कारों का निमार्ण भी होगा. वे श्रीराम के बारे में परिचित होंगे. यह बच्चों के भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है. 


उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा का आयोजन जहां होता है, वह स्थान दिव्य रूप ले लेता है. इसलिए अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करें. हमारे प्रभु श्रीराम सत्य एवं आनंद स्वरूप हैं. श्रीराम कथा हमारे दैहिक तापों को समाप्त करने वाले हैं. कुल मिलाकर भगवान श्रीराम ही विश्व की उत्पत्ति के मूल कारण हैं. उनकी मुस्कान से ही सृष्टि का का निर्माण होता है. उन्होंने समुपस्थित भक्तों को धार्मिक संदेश देते हुए कहा कि लोग अपने दांपत्य जीवन को सुधारें, क्योंकि जब तक दांपत्य जीवन दिव्य पवित्र नहीं होगा, तब तक दिव्य संतान उत्पन्न नहीं होगी.















 














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