यज्ञ मंडप की परिक्रमा से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं : आचार्य

मन को अपनी ओर आकर्षित करने तथा रससार सर्वस्व में सराबोर करने के लिए भगवान मनमोहन श्यामसुंदर बनकर रसमयी लीलायें संपन्न करते हैं. जीव को शिव में लीन-तल्लीन करने की विधा ही लीला है. उसमें लोकोत्तर ब्रह्मरस की वर्षा होने से उसे रासलीला कहा जाता है. 




- कोरानसराय में आयोजित है लक्ष्‍मीनारायण महायज्ञ 
- श्रद्धालुओं के जयघोष से प्रवाहित हो रही हैं भक्तिरस धारा 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : डुमराँव अनुमंडल के कोरानसराय गांव में चल रहे लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में दूसरे दिन रविवार को श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिला. यज्ञमंडप की परिक्रमा के लिए महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं मे उत्साह देखने को मिल रही है. इस दौरान महिलाओं द्वारा गाये जा रहे मांगलिक गीतों से भक्तिमय माहौल रहा. 




प्रवचन करते हुए विद्वान संतो ने कहा कि अनादि काल से हमारा मन मस्तिष्क रसिक और रसलोलुप है. इस मन को अपनी ओर आकर्षित करने तथा रससार सर्वस्व में सराबोर करने के लिए भगवान मनमोहन श्यामसुंदर बनकर रसमयी लीलायें संपन्न करते हैं. जीव को शिव में लीन-तल्लीन करने की विधा ही लीला है. उसमें लोकोत्तर ब्रह्मरस की वर्षा होने से उसे रासलीला कहा जाता है. 

अंजलि गोस्वामी ने कहा कि भगवान के समस्त अवतारों का एक साथ दर्शन श्रीकृष्णावतार में हो जाता है. श्रीकृष्णावतार में आरंभ में बाललीला गोकुल में भगवान ने की जिसमें माखनचोरी व मृद्-भक्षण (मिट्टी खाना) प्रमुख है. वनलीला श्रीधाम वृंदावन में की जिसमें गोचारण, गोवर्द्धन धारण आदि प्रमुख हैं. रासलीला रसकुंज में समस्त प्राणियों के परम कल्याण के लिए भक्तिरस का उद्रेक किया और सबको उपकृत किया. जीव मात्र की कामनाओं की पूर्ति तथा परमानंद की प्राप्ति रासलीला ही कराती है. 

बता दें इस महायज्ञ में देश के कोनें-कोनें से वैदिक पंडितों एवं संत महात्‍माओं का आगमन हुआ है. महायज्ञ परिसर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. इसको लेकर कोरान सराय और आस पास के इलाके में भक्ति रस की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है.




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