एनसीइआरटी ने ऑडियो-विजुअल "सीख" के लिए जिले की शिक्षिका बहू को किया सम्मानित ..

यह अवार्ड इन्हें इनकी मोटिवेशनल कहानी सीख के लिए दिया गया. इस प्रतियोगिता में पूरे देश भर के कुल 747 लोगों ने भाग लिया जिसमें, मूल रूप से जिले के चौसा निवासी स्वर्गीय पारसनाथ तिवारी की पुत्री तथा डुमराव की बहू प्रियंका ने सफलता प्राप्त की. प्रियंका उपाध्याय को पुरस्कार के रूप में 40 हज़ार रुपये का चेक और प्रमाण पत्र दिया गया.

 






- एनसीइआरटी के द्वारा दिल्ली में आयोजित की गई थी प्रतियोगिता
- सफलता के बाद लगा बधाइयों का तांता

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : एनसीइआरटी के द्वारा राष्ट्रीय नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ऑल इंडिया चिल्ड्रंस एजुकेशन ऑल ऑडियो विजुअल फेस्टिवल में डुमरांव की बहू ने देश स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है. उन्होंने इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीत कर न सिर्फ अपने परिजनों बल्कि जिलेवासियों का भी नाम रोशन किया है.यह उपलब्धि डुमरांव के चाणक्यपुरी कॉलोनी निवासी राघवेंद्र उपाध्याय की पत्नी प्रियंका उपाध्याय ने हासिल की है. राघवेंद्र उपाध्याय वेस्टर्न रेलवे वडोदरा में मुख्य ट्रेन नियंत्रक है. 




हाल ही में एनसीइआरटी के द्वारा ऑल इंडिया चिल्ड्रंस एजुकेशन ऑल ऑडियो विजुअल फेस्टिवल नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस प्रतियोगिता में प्रियंका उपाध्याय ने बेस्ट ऑडियो -विजुअल का खिताब अपने नाम कर सब को गौरवान्वित किया. यह अवार्ड इन्हें इनकी मोटिवेशनल कहानी सीख के लिए दिया गया. इस प्रतियोगिता में पूरे देश भर के कुल 747 लोगों ने भाग लिया जिसमें, मूल रूप से जिले के चौसा निवासी स्वर्गीय पारसनाथ तिवारी की पुत्री तथा डुमराव की बहू प्रियंका ने सफलता प्राप्त की. प्रियंका उपाध्याय को पुरस्कार के रूप में 40 हज़ार रुपये का चेक और प्रमाण पत्र दिया गया.

आरा से हुई है प्रियंका की शिक्षा-दीक्षा : 

प्रियंका की शिक्षा-दीक्षा आरा के नेमीचंद शास्त्री विद्यालय में हुई है वहीं कॉलेज की शिक्षा आरा जैन कॉलेज से हुई संस्कृत में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गुजरात के प्रतिष्ठित महाराज सयाजीराव विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त की. वर्तमान में वह सिग्नस वर्ल्ड स्कूल में हिंदी शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं. उनकी इस सफलता पर न्यायिक कर्मी कौशलेंद्र कुमार ओझा एवं चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के सदस्य डॉ शशांक शेखर ने बधाई दी है.

बेहद मर्मस्पर्शी कहानी है "सीख" :

अपनी कहानी के बारे में उन्होंने बताया कि वस्तुतः यह कहानी एक नन्ही बच्ची की मन:स्थिति को दर्शाती है जो अपनी असफलता से घबराकर उसे छुपाना चाहती है किंतु, हिम्मत जुटाकर जब वह सारी बात अपने पिता से साझा करती है तब उसके पिता के द्वारा अत्यंत सहजता से उसका ढांढस बढ़ाते हुए उसे शाबाशी दी जाती है. इसी शाबाशी से जो सीख मिलती है वह उसे नई ऊर्जा से भर देती है और उसके कदम सफलता की ओर बढ़ चलते हैं.


















 














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