विजयोत्सव पर सदर विधायक के तीखे सवाल, पूछा - पीर अली और मंगल पांडेय को क्यों भूल गए?

कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि नफरती राजनीति का सूत्रधार बन चुकी इस पार्टी और इसके नेताओं ने वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के बहाने जो गंदा सियासी निशाना साधा है, वह बिहार की राजनीति में एक अलग दुर्गंध पैदा करेगी.








- कहा, राजनीतिक स्वार्थ साधने में जुटी हुई है भाजपा
- पूछा, कुंवर सिंह के जिगरी दोस्त पीर अली तथा मंगल पांडेय की शहादत क्यों नहीं आई याद?

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : 1857 की क्रांति के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के बहाने धर्म और जाति की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी अपनी सियासी रोटी सेंकने में लगी है. सत्ता पाने के लिए घृणित राजनीति के निकृष्टतम स्तर तक जाने वाली भाजपा ने बाबू साहब के विजयोत्सव को सियासी रंग दे दिया है. यह कहना है सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का. वह वीर कुंवर सिंह चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भोजपुरिया लोक के नायक को अपनी सांप्रदायिक राजनीति दुरुस्त करने का आधार बनाने वाली पार्टी शायद यह भूल गई कि कुंवर सिंह पर मजहबों का रंग कभी नहीं चढ़ पाया. वे सांप्रदायिकता के खिलाफ थे. उनकी सेना से लेकर रियासत के अहम पदों पर मुसलमान से लेकर विभिन्न जाति, वर्गों के लोग आसीन थे. सभी कुंवर सिंह से बेइंतहा मोहब्बत करते थे और कुंवर सिंह इन सबों से लेकिन, दुर्भाग्य कि भाजपा इस प्यार के समंदर में भी नफरतों का रंग घोल देना चाहती है. यदि नहीं तो 23 अप्रैल को जगदीशपुर पहुंच कर कुंवर सिंह का विजयोत्सव मनाने का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन करने वाले गृह मंत्री अमित शाह और उनकी भाजपा के सूरमा मंत्री आखिर कुंवर सिंह के जिगरी दोस्त पीर अली की शहादत को क्यों भूल गए? 

ठीक इसी तरह अंग्रेजों के खिलाफ पहली गोली चलाने वाले सिपाही विद्रोह के नायक मंगल पांडेय का बलिदान क्यूं नहीं याद आया? बीते अप्रैल माह की 8 तारीख को ही मंगल पांडेय की पुण्यतिथि थी लेकिन, इस पुनीत अवसर पर इस तरह का कोई आयोजन बलिया या बक्सर में नहीं हुआ. यदि भाजपा और उसके नेताओं की नीयत ठीक होती. वे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों का यदि सम्मान करना चाहते तो इस तरह का विभेद नहीं करते.




कहा, नफरत की सूत्रधार बनी है भाजपा :

विधायक ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि नफरती राजनीति का सूत्रधार बन चुकी इस पार्टी और इसके नेताओं ने वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के बहाने जो गंदा सियासी निशाना साधा है, वह बिहार की राजनीति में एक अलग दुर्गंध पैदा करेगी. वैसे भी कुंवर सिंह का विजयोत्सव बहुत पहले से मनाया जाता रहा है. केंद्र या राज्य में सरकार किसी की हो, जगदीशपुर में विजयोत्सव जरूरत मनाया जाता रहा लेकिन, इस बार विजयोत्सव के आयोजन का जो प्रदर्शन किया जा रहा है और उसके जरिए एक जाति विशेष को अपने मतलब में इस्तेमाल करने की जो कुत्सित साजिश रची जा रही है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ हालांकि, भाजपाइयों के इस घृणित कृत्य को बिहार के लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.लगातार बढ़ रही जातीय खाई को पाटने और भाजपा द्वारा हाशिए पर छोड़े गए आजादी की लड़ाई और आजादी के बाद के नायकों को वाजिब सम्मान देने के लिए सामाजिक तौर पर अभियान चलाया जाएगा और इससे आम जन को जोड़ा जाएगा. 

मंगल पांडेय और कैलाशपति मिश्रा की प्रतिमाएं : विधायक

श्री तिवारी ने कहा कि मैं यूपी और बिहार के सीमावर्ती जिले बक्सर का सदर विधायक होने के नाते वीर कुंवर सिंह सेतु के पास 1857 की क्रांति के महानायक मंगल पांडेय की आदमकद प्रतिमा लगाए जाने की मांग करता हूं. जहां हर साल भव्य स्तर पर उनकी जयंती और पुण्यतिथि मनाई जाएगी. साथ ही गुजरात के राज्यपाल रह चुके और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग और निर्विवाद पहचान गढ़ने वाले स्व कैलाशपति मिश्र जी की प्रतिमा बक्सर - पटना फोर लेन पर पड़री मोड़ के पास लगाई जाए. मैं खुद इसके लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करूंगा. एनएचएआई के अधिकारियों के साथ ही केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी इस संबंध में प्रस्ताव भेजा जाएगा. फिलहाल इस संबंध में मैं एक प्रस्ताव बनाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बक्सर जिलाधिकारी के पास भेज रहा हूं.

















 














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