वीडियो : बक्सर का बबुआ लाया ऑस्ट्रेलियाई दुल्हनिया, बिहारी रीति-रिवाज से हुई शादी ..

शादी की तारीख तय हुई. विक्टोरिया और उसके माता-पिता को बिहारी संस्कृति काफी पसंद थी ऐसे में उन्होंने बक्सर से ही शादी करने की बात रखी, जिसे नंदलाल सिंह ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और 20 अप्रैल को नगर के एक निजी मैरिज हॉल में दोनों अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मों के लिए एक दूसरे के हो गए. 








- कुकुढ़ा निवासी जयप्रकाश के प्यार में सात समंदर पार से पहुंची विक्टोरिया
- हिंदू रीति रिवाज से हुई शादी, अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मों के लिए एक दूजे के हुए नवदंपत्ति

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : किसी हिंदी फिल्म का गाना "पंछी, दरिया, पवन के झोंके .. कोई सरहद ना इन्हें रोके .." यह गाना प्यार पर भी बिल्कुल ही सटीक बैठता है. प्यार भी सरहदों के आगे नहीं रुकता ऐसे कई उदाहरण है जिनमें यह बात पूरी तरह सत्य होती दिखाई देती. ऐसे ही एक मामले में सरहदों के बंधन को दरकिनार कर बक्सर निवासी एक युवक ने ऑस्ट्रेलियाई युवती से शादी कर ली. शादी भी ऐसे-वैसे नहीं बल्कि पूरे भारतीय रस्मों रिवाज और धूमधाम से. खास बात यह है कि इस शादी में वर और वधु दोनों पक्षों के लोगों की रजामंदी भी है और दोनों परिवार काफी खुश भी. 




दरअसल, इटाढ़ी प्रखंड के कुकुढ़ा निवासी पूर्व मुखिया नंदलाल सिंह यादव के पुत्र जयप्रकाश ने वर्ष 2019 से 2021 तक ऑस्ट्रेलिया में रहकर पढ़ाई की. वर्तमान में वह उसी देश में सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. पढ़ाई के दौरान ही जयप्रकाश को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर के जिलांग के रहने वाले स्टीवन टॉकेट एवं अमेंडा टॉकेट की बेटी विक्टोरिया से प्यार हो गया. जयप्रकाश और विक्टोरिया दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे. दोनों ने यह बात अपने परिजनों को बताई पहले तो परिजन जरा हिचकिचाएं लेकिन, दोनों के प्यार को देखते हुए अंततः उन्होंने हामी भर दी. 

शादी की तारीख तय हुई. विक्टोरिया और उसके माता-पिता को बिहारी संस्कृति काफी पसंद थी ऐसे में उन्होंने बक्सर से ही शादी करने की बात रखी, जिसे नंदलाल सिंह ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और 20 अप्रैल को नगर के एक निजी मैरिज हॉल में दोनों अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मों के लिए एक दूसरे के हो गए. 

ऑस्ट्रेलिया में शिक्षिका हैं विक्टोरिया, माता पिता ने कहा, पसंद पर है नाज़ :

जयप्रकाश की दुल्हनियां विक्टोरिया अपने शहर में बतौर शिक्षिका कार्यरत हैं. अपने पांच भाई और दो बहनों में सबसे छोटी विक्टोरिया की पसंद पर उनके माता-पिता को भी नाज है. बेटी का कन्यादान करने की रस्म निभाने के बाद जब उनके माता-पिता से उनके दामाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की पसंद पर नाज है. उन्होंने बिहारी संस्कृति को भी काफी समृद्ध संस्कृति बताया.

पहले सवाल उठा रहे थे रिश्तेदार, अब विदेशी दुल्हनिया देखने के लिए उमड़ी भीड़ : 

आमतौर पर जिस प्रकार नाते-रिश्तेदार दूसरे धर्म और मजहब में शादी करने पर चिढ़े रहते हैं, वैसा ही कुछ जयप्रकाश के साथ भी हुआ उनके कुछ इंतजार भी इस शादी से नाराज थे लेकिन, बाद में जब यह तय हुआ कि सब कुछ हिंदू रीति रिवाज से होगा, तो सभी मान गए और अब सब विदेशी दुल्हनिया को देखने और उसे आशीर्वाद देने पहुंच रहे हैं.

वीडियो : 



















 














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