भगवान ने इस लीला के माध्यम से हमें सीख दी है कि व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए. अस्तु, हर वक्त हमें भगवान का स्मरण कर अपने निहित कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए. क्योंकि जो व्यक्ति अभिमान करता है उसके अंदर भक्ति कभी भी पनप नहीं सकती.
- बक्सर नगर के गोलंबर पर आयोजित है सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा
- श्रीमद्भागवत के भक्ति सागर में गोते लगा रहे हैं श्रद्धालु
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : तप, धर्म, त्याग और परोपकार हमारे विचार की शुचिता को बनाए रखते हैं, हमारे आचरण को परिष्कृत करते हैं. सत्संग जहां एक ओर हमारे मनोबल को बनाए रखते हैं, वहीं दूसरी ओर श्रीहरि का गुणगान हमें हमारे दायित्वों से विचलित नहीं होने देता. यही कारण है कि जिन-जिन क्षेत्रों में सात दिन तक ऐसे कथा सप्ताह होते हैं, उस क्षेत्र के लोग धन्य हो जाते हैं और भगवान की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है. गोलम्बर, बक्सर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस को आचार्य पीतांबर प्रेमेश ने प्रभु लीला के कई मार्मिक प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया. उन्होंने कथा आयोजिका के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए बेहतर प्रबंध किए हैं. उन्होंने कथा श्रवण की उपादेयता को समझाते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि वे प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलें और हमेशा उनके दिखाए मार्ग का पालन करें. ज्ञात हो कि इस सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने के लिए आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं. कथा क्रम में आज उन्होंने गिरिराज महाराज की कथा सुनाई और इस बात पर बल दिया कि अभिमान हमारा सबसे बड़ा शत्रु है तथा यह हमें सबसे पहले हमारे कर्त्तव्यों से विमुख करता है.
उन्होंने कहा कि देवराज इंद्रदेव को जब अभिमान हो गया कि मैं ही सबसे शक्तिशाली हूं और मैं अब बरसात न करूं तो बरसात नहीं होगी. श्रीकृष्ण भगवान ने उनका अभिमान तोड़ने के लिए गिरिराज पर्वत की पूजा की और इंद्र के अभिमान का मर्दन किया. भगवान ने इस लीला के माध्यम से हमें सीख दी है कि व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए. अस्तु, हर वक्त हमें भगवान का स्मरण कर अपने निहित कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए. क्योंकि जो व्यक्ति अभिमान करता है उसके अंदर भक्ति कभी भी पनप नहीं सकती. इस अवसर पर श्रीगोवर्धन जी महाराज की सुंदर झांकी ने समुपस्थित श्रद्धालुजनों को भाव विभोर कर दिया तथा संगीतमय मधुर भजनों का श्रवण कर झूम उठे.
आचार्य ने कहा कि नि:संदेह कथा आयोजक श्री सुनील वर्मा ने ऐसे आयोजन को अपने पुण्यकर्मों का प्रतिफल मानते हुए श्री प्रभु के चरणों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की और कहा कि ऐसे अवसर पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ कहीं- न -कहीं हमारी सनातनी संस्कृति और धार्मिक आस्था का परिचायक है.
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