बताते हैं कि किशोरों से जुड़े आपराधिक मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए. इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लेना चाहिए था. वहीं, बच्चियों को थाने में रखना सर्वथा अनुचित है. उन्हें सुरक्षित रूप से अल्पावास गृह में रखे जाने की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है.
- राजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव का है मामला
- बुधवार से ही थाने में बैठी हैं बच्चियां
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : राजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी दो सगी बहनों ने अपने एक नजदीकी रिश्तेदार पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. अपने आवेदन को लेकर न्याय की गुहार लगाने के लिए दोनों बच्चियां राजपुर थाने पहुंची जहां से उन्हें बुधवार को महिला थाने पहुंचा दिया गया. अब मंगलवार से ही दोनों बच्चियां को महिला थाने में रखा गया है, जहां उन्हें यह नहीं समझ में आ रहा है वह कि स्वयं पीड़ित होने के बावजूद वह किस गुनाह की सजा भुगत रही हैं?
महिला थानाध्यक्षा से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच कर रही थी ऐसे में बच्चियों को थाने में रखा गया था लेकिन, बड़ा सवाल यह भी है कि जब जिले में जब अल्पावास गृह की व्यवस्था है तो नाबालिग बच्चियों को थाने में रखा जाना कहां तक उचित है?
घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक राजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव के 14 और 16 साल की दो बच्चियों ने अपने एक बेहद नजदीकी रिश्तेदार पर यौन शोषण किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखित तौर पर इसका आवेदन पुलिस को भी दिया है. उनका कहना है कि पहले तो लोक-लाज के कारण वह इस बात को किसी से कह नहीं पा रही थी लेकिन, बाद में उन्होंने हिम्मत करते हुए थाने में न्याय की गुहार लगाई है.
महिला थानाध्यक्ष कंचन कुमारी का यह कहना है कि मामले के अनुसंधान के लिए यह आवश्यक था कि बच्चियों को थाने में ही रखा जाए. मामला चूंकि नजदीकी रिश्तेदार से जुड़ा हुआ था इसलिए बेहतर ढंग से जांच करना और भी जरूरी था.
किशोरों के मामले में लापरवाही ठीक नहीं :
इस मामले में किशोर मामलों के विशेषज्ञ, किशोर न्याय परिषद के पूर्व तथा बाल कल्याण समिति के सदस्य डॉ शशांक शेखर बताते हैं कि किशोरों से जुड़े आपराधिक मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए. इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लेना चाहिए था. वहीं, बच्चियों को थाने में रखना सर्वथा अनुचित है. उन्हें सुरक्षित रूप से अल्पावास गृह में रखे जाने की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है.
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