एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम देर रात तक शवों की तलाश गंगा में करती रही जिसके बाद नाथ बाबा घाट के समीप पांच शव पाए गए. अनुमंडल पदाधिकारी के मुताबिक रात्रि के समय सिविल सर्जन को शवों का पोस्टमार्टम कराने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद सदर अस्पताल से पहुंची तीन सदस्यीय चिकित्सकीय टीम ने शवों का पोस्टमार्टम किया.
- पूरी रात चला शवों को तलाशने का अभियान, रात में ही कराया गया पोस्टमार्टम
- नमामि गंगे परियोजना की विफलता, शवदाह सामग्री की मनमानी कीमत जैसे सवाल भी आए सामने
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : रामरेखा घाट पर गंगा में शवों के बहते पाए जाने की सूचना पर नगर परिषद के द्वारा तत्परता दिखाते हुए शवों को घाट से हटा दिया गया. स्थानीय नाविकों की मदद से शवों गंगा के बीचो बीच पहुंचा दिया गया. रामरेखा घाट निवासी राहुल खरवार बताते हैं कि नगर परिषद के कर्मियों की देखरेख में शाम को तकरीबन पांच से छह बजे के बीच के बीच में शवों को नागरिकों के सहयोग से शवों को गंगा किनारे से ले जा कर गंगा के बीचो-बीच ले जाकर छोड़ दिया गया.
राहुल बताते हैं कि ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है. अक्सर ही शव गंगा के किनारे आकर लग जाते हैं जिन्हें बाद में नगर परिषद के कर्मियों के द्वारा गंगा के बीचो-बीच ले जाकर छोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में तकरीबन 15 शव बहते हुए पाए गए थे जिनमें से कुछ आगे बह गए, कुछ को नप कर्मियों ने बहा दिया और कुछ को प्रशासन ने निकाला है.
रात भर चला तलाशी अभियान :
इधर शवों के बरामद होने की बात सामने आने के बाद जिला पदाधिकारी अमन समीर ने भी इस बात को गंभीरता से लिया तथा उनके निर्देश पर अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में सर्च अभियान चलाया गया एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम देर रात तक शवों की तलाश गंगा में करती रही जिसके बाद नाथ बाबा घाट के समीप पांच शव पाए गए. अनुमंडल पदाधिकारी के मुताबिक रात्रि के समय सिविल सर्जन को शवों का पोस्टमार्टम कराने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद सदर अस्पताल से पहुंची तीन सदस्यीय चिकित्सकीय टीम ने शवों का पोस्टमार्टम किया.
पोस्टमार्टम के बाद शवों को फेंके जाने की आशंका :
अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि शवों को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शवों का पोस्टमार्टम किया हुआ था. ऐसा लग रहा है कि पोस्टमार्टम करने के पश्चात शव को परिजनों को सौंपा गया होगा और उन्होंने लोगों को गंगा में ही प्रवाहित कर दिया. लाशें बुरी तरह सड़ चुकी है लेकिन यह प्रयास किया जा रहा है कि उनकी पहचान हो जाए. मामले में सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ से ने भी लाशों के बुरी तरह सड़े होने की बात कही लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि शवों की पोस्टमार्टम तथा डीएनए सैम्पल ले लिया गया है, जिससे उनकी पहचान का प्रयास होगा.
शवदाह सामग्री की मनमानी कीमत भी है कारण :
ऐसा माना जा रहा है कि लोगों के द्वारा शवों का जल प्रवाह कर दिया जा रहा है. रामरेखा घाट के राहुल खरवार बताते हैं कि आर्थिक तंगी की वजह से भी लोग ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शमशान घाट पर लकड़ी की कीमत का निर्धारण भले ही प्रशासन ने कर दिया हो लेकिन अभी वहां मनमानी वसूली हो रही है ऐसे में लोग आसानी से शवों को गंगा में बहा देते हैं.
नमामि गंगे परियोजना के लोग हैं जिम्मेदार :
रेड क्रॉस के सचिव तथा सामाजिक कार्यकर्ता व नगर परिषद के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर डॉ श्रवण कुमार तिवारी बताते हैं कि गंगा में शव के बहते पाए जाने के पीछे केवल नमामि गंगे परियोजना से जुड़े पदाधिकारी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे की जो टीम बनाई गई है उसमें शामिल लोग कभी भी गंगा की स्वच्छता के प्रति कार्य नहीं करते. प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च के बावजूद गंगा स्वच्छता के लिए कुछ भी नहीं होता. उन्होंने इस तरह की परिस्थितियों के लिए नमामि गंगे परियोजना के नोडल पदाधिकारी तथा अन्य पदाधिकारियों को जिम्मेदार बताया.
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